Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
Mal Maas to start on 16 december 2018-मूल नक्षत्र में (मल मास) सूर्य का 16 दिसंबर को प्रवेश - Sabguru News
होम Astrology मूल नक्षत्र में (मल मास) सूर्य का 16 दिसंबर को प्रवेश

मूल नक्षत्र में (मल मास) सूर्य का 16 दिसंबर को प्रवेश

0
मूल नक्षत्र में (मल मास) सूर्य का 16 दिसंबर को प्रवेश

सबगुरु न्यूज। सूर्य दिनांक 16 दिसम्बर को धनु राशि के मूल नक्षत्र में सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर प्रवेश करेंगे। सूर्य का धनु राशि में प्रवेश मल मास व पोष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा तब मल मास भी समाप्त हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं में इस मल मास में मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है।

आकाश मंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से मूल नक्षत्र पूर्वाषाढा नक्षत्र तथा उत्तराषाढा नामक नक्षत्र होते हैं जो धनु राशि के तारा समूह में होते हैं। सूर्य अपनी धुरी पर भ्रमण करता हुआ जब धनु राशि के मूल नक्षत्र में प्रवेश करता है तो उसे मल मास के नाम से या पोष संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

धनु राशि के मूल नक्षत्र में सूर्य का तापमान बढने लगता है। कारण धनु राशि स्वंय अग्नि तत्व प्रधान होती है और सूर्य स्वयं अग्नि तत्व का कारक होता है। आकाश में धनु राशि का आधिपत्य वृहस्पति ग्रह के अधीन होता है और वह आकाश तत्व तथा हेमंत ऋतु के कारक होते हैं।

सूर्य व धनु राशि के अग्नि तत्व और बृहस्पति ग्रह के आकाश तत्व का ठंडे घर में यह खेल प्रचंड ठंड को पैदा कर देता है और सूर्य की गरमी ठंडी पडने लग जाती है। इसी समय सूर्य इस खेल के मैदान से मुंह मोड़ कर उत्तर की ओर जाने लगता है और यही सूर्य का उत्तरायन कहलाता है। सात दिनों के इस खेल में अर्थात जो 16 दिसम्बर से 22 दिसम्बर तक होता है।

सूर्य दक्षिण नीचे का मैदान छोड़ कर उत्तर की ओर जाने लगता है और अपनी गर्मी का वार करने लग जाता है। जमी हुई बर्फ को पिघलाने लग जाता है। इसी के कारण बर्फबारी ठंडी हवाओं का दौर तथा वर्षा तूफान की शुरूआत करने लग जाता है और वृहस्पति ग्रह भी अपनी ठंड को लेकर सूर्य से मुकाबला करने लग जाता है।

ठंडा पड़ता हुआ सूर्य अपनी आत्मा को बृहस्पति ग्रह के हवाले छोड़ देता है और कृत्रिम गरमी के साधनों का इस्तेमाल दुनिया वालों से करा ठंड से मुकाबला करने का ज्ञान देता है। सूर्य आत्मा का ग्रह होता है और वृहस्पति ग्रह बुद्धि का ग्रह होता है और दोनों के इस खेल में दोनों का मिलन से ज्ञान और बुद्धि एक हो जाते हैं और आत्मा का मल धूल जाता है।

यह मास मल मास कहला कर संदेह देता है कि हे मानव अब शरीर में बैठी हृदय को धडकाने वाली आत्मा को सुरक्षित रखना है। इस मौसम में शरीर के तापमान को बनाए रख नहीं तो यह आत्मा धीरे से कसक कर निकल जाएगी।

धार्मिक मान्यताओं में इस मास में भगवान विष्णु व लक्ष्मी जी की शादी का उत्सव मनाया जाता है और तिल तेल दाल बडे का भोग बना कर देवो को अर्पण किया जाता है जो “पोष बडा” बन कर कहलाता है। पोष संक्रांति में दान पुण्य के रूप में गर्म वस्त्र ठंड दूर करने के लिए गर्म तासीर के भोजन तथा अग्नि तपने के साधन अलाव व रात्रि में रेनबसेरों की व्यवस्था की जाती है। हिन्दू धर्म में इस मास में विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है।

सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर