नई दिल्ली। कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मोदी सरकार के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है तथा चुनाव इलेक्ट्रानिक मतदान मशीन की बजाय मतपत्रों से कराने की मांग की है।
पार्टी के यहां चल रहे 84वें महाधिवेशन में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने के सरकार के प्रस्ताव को संविधान की दृष्टि से अनुचित और अव्यवहारिक करार दिया गया। राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि एक साथ चुनाव कराने की भाजपा की चाल गलत है। यह संविधान की दृष्टि से अनुचित है और व्यवहारिक भी नहीं है। इसके गंभीर परिणाम होंगे, जिनकी पूरी तरह से पड़ताल की जानी चाहिए और इस पर राष्ट्रीय सहमति बननी चाहिए।
पार्टी ने इलेक्ट्रानिक मतदान मशीनाें को लेकर राजनीतिक दलों और आम लोगों में उठ रही शंकाओं का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग से चुनाव मतपत्रों से कराने का पुराना तरीका अपनाने का आग्रह किया है। राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि निर्वाचन आयोग के पास स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने की संवैधानिक जिम्मेदारी होती है।
चुनावी व्यवस्था में लोगों का भरोसा बनाये रखने के लिए मतदान और मतगणना, दोनों प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। जनमत के विपरीत, परिणामों में हेराफेरी करने के लिए ईवीएम के दुरुपयोग को लेकर राजनीतिक दलों और आम लोगों के मन में भारी आशंकाएं हैं। निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को मतपत्र के पुराने तरीके को फिर से लागू करना चाहिए, क्योंकि अधिकांश प्रमुख लोकतंत्रों ने ऐसा ही किया है