नई दिल्ली। लाेकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल के चयन के लिए गुरुवार को बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लेने फैसला किया है।
खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है कि वह इस बैठक में विशेष आमंत्रित के रूप में भाग नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें विशेष आमंत्रित के तौर पर बुलाया जाना इस बात को दर्शाता हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी के लिए बनाई जा रही लोकपाल संस्था में चयन प्रक्रिया में विपक्ष की स्वतंत्र आवाज को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार ने फरवरी में उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि लोकपाल के चयन के लिए एक मार्च को बैठक बुलाई जाएगी और उसमें लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को आमंत्रित किया जाएगा।
खड़गे ने पत्र में कहा है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून 2013 में चयन समिति में ‘विपक्ष के नेता’ काे रखने का प्रावधान है और उसे ‘विशेष आमंत्रित’ से नहीं बदला जा सकता। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि सरकार लोकपाल की नियुक्ति में सार्थक और रचनात्मक भागीदारी सुनिश्चित करने के वजाय सिर्फ कागजी औपचारिकता निभा रही है।
लोकपाल कानून के अनुसार लोकपाल की चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा एक कानूनविद काे रखने का प्रावधान है। लोकसभा में इस समय किसी को भी विपक्ष के नेता का दर्जा प्राप्त नहीं है। कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और खड़गे सदन में उसके नेता हैं।
खड़गे ने कहा कि सरकार ने विभिन्न कानूनों में संशोधन कर ‘विपक्ष के नेता’ के स्थान पर ‘सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता’ शब्द का इस्तेमाल किया है। लोकपाल कानून 2013 में ऐसा ही संशोधन करने के लिए दिसम्बर 2014 में एक विधेयक लाया गया था लेकिन यह अभी भी संसद में लंबित है और सरकार इसे पारित नहीं कराया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा है कि यदि उनकी सरकार वास्तव में लोकपाल की सही ढंग से नियुक्ति करना चाहती है तो वह इस विधेयक के स्थान पर फिलहाल अध्यादेश जारी करे और उसके बाद संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विधेयक को पारित कराए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आप भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की बार बार बात करते हैं लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी सरकार ने करीब चार साल से लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है।खड़गे ने कहा कि बैठक में ‘विशेष आमंत्रित’ के तौर पर उनकी मौजूदगी सिर्फ दिखावा होगी क्योंकि उन्हें अपनी राय दर्ज कराने और वोट का अधिकार नहीं होगा।