अजमेर। सद्गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार एक सप्ताह में धर्म, संस्कृति व राष्ट्र के लिए शहीद हो गया था। उसी कुर्बानी की याद में मानव अधिकार मिशन की ओर से 23 से 29 दिसंबर तक बाल जागृति सप्ताह मनाया जा रहा है।
इसी क्रम में रविवार को संस्था के सभी पदाधिकारियों ने बजरंगगढ स्थित विजय स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में गुरु परिवार की कुर्बानियों को याद करते हुए चारों साहिबजादाें के शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि आर्पित की।
इस अवसर पर महावीर सर्किल स्थित संन्यास आश्रम जाकर वहां अध्ययनरत बच्चों को देशभक्ति से ओतप्रोत कहानियां सुनाईं। सभी को पेन सेट तथा पुस्तकें भेंट की गई। राष्ट्रप्रेम व मानवाधिकार के संदर्भ में संस्था के संगठन मंत्री तरुण वर्मा ने विस्तार से जानकारी दी। संस्था की महिला उपाध्यक्ष अनिता खुराना के गाए देशभक्ति गीत से माहौल भावपूर्ण हो गया।
कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष वीपी सिंह, उपाध्यक्ष भूपेन्द्र नेगी, संगठन मंत्री तरुण वर्मा, विधि सचिव एडवोकेट बबीता टांक, वेलफेयर सेकेटरी सोहनलाल भादा, युवा उपाध्यक्ष पोरष यादव, क्षेत्रीय संगठन मंत्री गौरव सिंह, यूथ सेकेटरी हिमांशु धनोपिया, मीडिया प्रभारी रमेश लालवानी समेत संस्था के समस्त पदाधिकारी मौजूद रहे।
सरदार उधम सिंह की जयंती मनाई
जलियां वाला बाग में भारतीयों पर अंधाधुन्ध गोलियां चलाकर नरसंहार का आदेश देने वाले अंग्रेज को ब्रिटेन में जाकर उसे मारने वाले सरदार उधम सिंह की जयंती पर उनको नमन किया।
विजय स्मारक पर आयोजित कसर्यक्रम में एडवोकेट बबीता टांक ने कहा कि सरदार उधम सिंह ने अंग्रेज से उनके देश में जाकर बदला लिया और उसको मौत के घाट उतार दिया। इस अवसर दो मिनट का मौन धारण करके, नारे लगाकर और बीएस नेगी व अनिता खुराना ने देश भक्ति के गीत सुनाकर शहीदों के बलिदान को याद किया।
एक सप्ताह में शहीद हुए चारों साहिबजादे
गुरु गोविंद सिंह के चारों साहिबजादों और माता गुजरी का बलिदान सिख समाज के लिए गर्व की बात है। 10 लाख सैनिकों के सामने चमकौर के मैदान में हुए युद्ध के दौरान बारी-बारी से उनका बलिदान किया गया।
22 दिसंबर 1704 को गुरु गोविंद साहिब के बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और फिर जुझार सिंह शहीद हुए। 27 दिसंबर 1704 में गुरुगोविंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम फतेहगढ़ साहिब में गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों को दीवार में चुनवाने की घटना सिख के लिए गर्व की बात थी।
दीवार बनने के साथ ही साहिबजादों ने ‘जपु जी साहिब’ का पाठ करना शुरू किया। दीवार पूरी हुई और अंदर से जयकारे की आवाज़ आई, दीवार तोड़ी गई तो बच्चे जिंदा थे लेकिन जबरन साहिबजादों को मार दिया गया। उधर, साहिबजादों के शहीद होने की ख़बर सुन कर गुरु गोविंद सिंह की माता गुजरी जी ने अकाल पुरख को इस गर्वमयी शहादत के लिए आभार किया और प्राण त्याग दिए।