सबगुरु न्यूज-सिरोही। नारादरा की लक्ष्मी ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष दिलीपसिंह मांडाणी ने सिरोही जिले के सहाकारिता विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां की सहकारिता को और समितियों को बर्बाद करने में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मुख्य भूमिका है। वे यहां पर पत्रकार वार्ता में लक्ष्मी ग्राम सेवा सहकारी समिति में हुए पुराने गबन के मामलों के संबंध में जानकारी दे रहे थे।
मांडाणी ने कहा कि सहाकारिता विभाग में आॅडिटर और स्पेशल आॅडिटर्स का काम सहकारी समितियों की आॅडिट करना ही है, लेकिन यह लोग आॅडिट करने की बजाय शेष सारे काम करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि साल दर साल दस्तावेजों को ले जाकर जमा कर लेते हैं, लेकिन उनकी आॅडिट करके आॅडिट रिपोर्ट समय पर पेश नहीं करते, जिससे सहकारी समितियों में घोटाले बढते जाते हैं। भाजपा पदाधिकारी होने के बावजूद उनका दावा था कि कांग्रेस को-आॅपरेटिव सेक्टर को भाजपा सरकार से ज्यादा बेहतर तरीके से समझती और उस पर काम करती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि समितियों में गबन का मामला हाथ आने पर सहकारिता विभाग के अधिकारी कार्मिक उसे खुदके हित में दुहने लगते हैं। उन्होंने बताया उनकी सहकारी समिति की समय पर आॅडिट करने के लिए उन्होंने कई बार सिरोही के सहकारिता विभाग के अधिकारियों से पत्राचार किया, लेकिन उन्होंने गंभीरता नहंी दिखाई।
इतना ही नहीं उन्होंने दस्तावेज पेश करके यह भी बताया कि किस तरह से सालो पहले एकत्रित करके रखे गए दस्तावेजों की आॅडिट का लटकाए रखा गया। और उनकी ओर से पत्राचार और न्यायिक प्रक्रिया का रास्ता अपनाने पर सहाकारिता विभाग के अधिकारियों ने दो दिन में ही आॅडिट करके घास काटी।
उन्होंने दावा किया कि उनके प्रयासों से ही लक्ष्मी ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड में गबन करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और दोषी कार्मिकों को जेल हुई। वहीं उनके द्वारा उनकी समिति में गबन के मामलों को कई बाद सीसीबी की एजीएम में उठाने के बाद भी सहकारिता विभाग के अधिकारियों की चुप्पी जिले में सहकारी समिति की बर्बादी में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की भूमिका को उजागर करने के लिए काफी है।
उन्होंने आॅडिटिंग के दौरान छोडी गई कई कमियों को भी पत्रकार वार्ता के दौरान यहां रखा। सहकारिता विभाग के एक अधिकारी के एपीओ होने पर राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल करने के आरोपों का खंडन करते हुए मांडाणी ने कहा कि यह अधिकारी अपने नौकरी के काल के तीस साल जालोर और सिरोही में ही रहा।
इसमें भी 27 साल लगातार सिरोही में ही रहा। उन्होंने आरोप लगाया इन लोगों का काम नियमित रूप से सहकारी संस्थाओं की आॅडिट करने का है, लेकिन ये लोग अपना ध्यान आॅडिटिंग की बजाय पूरा ध्यान उपभोक्ता भंडार व अन्य ऐसे विभागों में लगाते रहे, जिसमें हर महीने लाखों रुपये की खरीद होती है।
उन्होंने एक अधिकारी का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि सिरोही की अपनी नौकरी के दौरान किस तरह से उन्होंने सैकडों बीघा जमीन खरीदी और अपने बच्चों की राजसी शादियां की। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वह ऐसे अधिकारी की शिकायत दस्तावेजों के साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को करेंगे।