सुल्तानपुर । सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता (भाजपा) नेता मेनका गांधी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर संसदीय सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
चुनाव आयोग ने सोमवार को मेनका गांधी के चुनाव प्रचार पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया है। यह दूसरी बार है, जब गांधी ने अपना संसदीय सीट बदली है। उन्होंने चुनाव में अपने बेटे वरुण फिरोज गांधी के साथ पीलीभीत सीट की अदला-बदली की है। मेनका गांधी ने सुबह शास्त्रीनगर स्थित आवास पर पूजा अर्चना करने के बाद रोड शो किया जो नगर के दरियापुर चौराहा, मंडी चौराहा होते हुए दोपहर कलेक्ट्रेट में पहुंचा। जहॉं उन्होंने कुछ करीबी नेताओ के साथ नामांकन दाखिल किया।
इसके बाद सुपर मार्केट स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गांधी ने अधिक से अधिक मतदान करने के लिए आवाहन किया। उन्होंने कहा कि सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर बदलने के लिए आप लोग लगे हुए हैं। आप अपने को अकेला ना समझें, हम आपके साथ हैं। सबसे पहले हमारे पति संजय गांधी सुल्तानपुर आए थे, उसके बाद पुत्र वरूण गांधी और अब मैं आप लोगों के सामने हूं। उन सभी को आप लोगों ने बहुत प्यार दिया है। मुझे भी यहां बहुत प्यार मिल रहा है। उन्होंने महिलाओं को आगे आने का आह्वान भी किया।
इस अवसर पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती पर निशाना साधते हुये कहा कि उनके शासन निषादों का आरक्षण समाप्त किया था। इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री मोती सिंह, राकेश त्रिवेदी, मायावती के कार्यकाल में पर्यटन मंत्री रहे विनोद सिंह, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल एवं क्षेत्र के चारों विधायक सूर्यभान सिंह, सीताराम वर्मा, देवमणि दुबे व राजेश गौतम मौजूद थे।
सुलतानपुर में छठे चरण में 12 मई को मतदान होगा। सात बार सांसद गांधी चार सरकारों में मंत्री रहीं। कानून और पशु कल्याण के क्षेत्रों में कई किताबें लिखी हैं। वह पहली बार 1989 में पीलीभीत से जनता दल के टिकट पर सांसद बनी। 1996 में जनता दल के टिकट पर फिर से निर्वाचित हुई। 1998 और 1999 में उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2004 में, वह भाजपा में शामिल हुई और पीलीभीत सीट पर जीत दर्ज की। 2009 में उन्होंने अपने बेटे वरुण फ़िरोज़ गांधी के लिए पीलीभीत छोड़ी और पास की आंवला सीट से चुनाव लड़ी। हालांकि 2014 में फिर से वह पीलीभीत आ गई और उसका बेटा सुलतानपुर से चुनाव लड़ा। वर्ष 2019 में दोनों माँ-बेटे ने अपनी सीट की अदला-बदली कर ली।