अगरतला। त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में डेंटल सर्जरी के प्रोफेसर माणिक साहा ने रविवार को यहां त्रिपुरा के12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने चमचमाते दरबार हॉल में एक सादे समारोह में 69 वर्षीय साहा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
साहा ने अकेले ही शपथ ली क्योंकि मुख्यमंत्री के अचानक बदलने के बाद विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के बीच बड़े पैमाने पर कथित असंतोष के कारण पार्टी ने अभी तक उनके कैबिनेट सदस्यों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा और राम प्रसाद पॉल सहित तीन पूर्व मंत्री तथा कई विधायक शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहे। देव हालांकि रतन लाल नाथ और आईपीएफटी नेता एवं पूर्व आदिवासी कल्याण मंत्री मेवार कुमार जमातिया तथा कुछ अन्य विधायकाें और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे।
साहा ने शपथ ग्रहण के बाद संवाददाताओं से कहा कि हम पार्टी के सिपाही हैं। मुझे जो भी कार्य सौंपा गया है, मैं उसे अपनी क्षमता के अनुसार पूरा करूंगा। मैं त्रिपुरा के समग्र विकास के लिए सर्वोत्तम प्रयास करूंगा। देव ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद शनिवार को पद से इस्तीफा दे दिया।
साहा दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे और दो साल बाद पार्टी के सत्ता में आने के बाद वह 2019 में त्रिपुरा क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने। साहा ने जनवरी 2020 में देव की जगह भाजपा की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष के पद का संभाला। मार्च 2022 में वह राज्य से राज्यसभा के लिए चुने गए।
साहा को देव का बहुत वफादार माना जाता है और त्रिपुरा भाजपा में उनका तेजी से उदय काफी हद तक पूर्व मुख्यमंत्री के साथ उनके बेहतर समीकरण के कारण संभव हुआ है।
भाजपा और आईपीएफटी के 41 विधायकों के विचारों को कथित तौर पर दरकिनार करते हुए शनिवार को भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में साहा के नाम की घोषणा से पार्टी में असंतोष फैल गया। भाजपा के दो विधायकों- पूर्व मंत्री राम प्रसाद पॉल और परिमल देववर्मा ने पार्टी के फैसले के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जबकि देव वर्मा साहा किसी के संपर्क में नहीं हैं। साहा और पार्टी पदाधिकारियों सहित भाजपा के केंद्रीय नेताओं के कई प्रयासों के बावजूद देव वर्मा का शनिवार रात से पता नहीं चल पाया है।
साहा ने पटना के सरकारी डेंटल कॉलेज से डेंटल सर्जरी में बैचलर डिग्री ली और यूनिवर्सिटी रैंकिंग में चौथा स्थान हासिल किया। उन्होंने 1995 में केजीएमसी, लखनऊ विश्वविद्यालय से ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने त्रिपुरा स्वास्थ्य सेवा में भी काम किया और बाद में त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में दंत शल्य चिकित्सा के प्रोफेसर बने।