मुंबई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों तथा अक्षमता के कारण देश आर्थिक मंदी के संकट में फंस गया है जिसके चलते लोगों की उम्मीद धूमिल हुई हैं और उनका भविष्य अंधकारमय दिखायी देता है।
डॉ सिहं ने गुरुवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि देश में मंदी के चलते ही चीन से आयात तेजी से बढा है। इस अवधि में आयात 1.22 लाख करोड़ रुपए बढा है। देश में निवेश नहीं हो रहा है जिसके कारण रोजगार का संकट बढ रहा है और युवा कम पैसे में काम करने को मजबूर है। ग्रामीण क्षेत्रों में निराशा का माहौल और बेरोजगारी लोगों को भटकने के लिए मजबूर कर रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की जरूरत है और इसके लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा “मैंने अभी-अभी वित्तमंत्री निर्मला सीतारम का एक बयान देखा है, मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, लेकिन मैं केवल यह बता सकता हूं कि अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए बीमारियों और उनके कारणों का सही निदान करने की आवश्यकता होगी।”
उन्होंने कहा कि इस मंदी का सबसे बुरा प्रभाव महाराष्ट्र में दिखायी दिया है। राज्य में पिछले पांच साल के दौरान सबसे अधिक फैक्ट्रियां बंद हुई हैं और चार साल से लगातार विनिर्माण की विकास दर घट रही है। रसायन एवं उर्वरक, इलेक्ट्रानिक सामान तथा आटोमोबाइल क्षेत्र में आयात 1.22 लाख करोड रुपए बढा है। डबल इंजिन वाली सरकार का खूब प्रचार किया किया गया लेकिन महाराष्ट्र में यह डबल इंजन फेल साबित हुआ है।
डॉ सिंह ने कहा कि उन्हें देश के सबसे बड़े ऑटो विनिर्माण केंद्र पुणे के ऑटो हब में फैली निराशा की जानकारी दी गयी। इसी तरह की समस्याएं नासिक, औरंगाबाद, नागपुर और अमरावती में भी बतायी जा रही हैं। औद्योगिक सक्रियता में इन क्षेत्रों का नाम सबसे आदर के साथ लिया जाता था लेकिन आज स्थिति बदली है और इसकी वजह भारतीय जनता पार्टी की सरकार की आर्थिक नीतियां हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत समय नहीं हुआ है जब महाराष्ट्र देश भर से युवा प्रतिभाओं को रोजगार पाने के लिए आकर्षित करता था। अब स्थिति एकदम बदली है और अवसरों की कमी सबसे ज्यादा यहीं दिख रही है। शहरी क्षेत्रों में, हर तीसरा युवा बेरोजगार है और शिक्षित व्यक्तियों को जबरदस्त बेरोजगारी का सामना कर रहा हैं।
डॉ सिंह ने कहा कि निवेश आकर्षित करने के मामले में महाराष्ट्र देश के पहले नंबर का राज्य रहा है लेकिन आज स्थिति बदल गयी है और महाराष्ट्र किसान आत्महत्याओं में अग्रणी राज्य बन गया है। भाजपा सरकार ने किसानों की खुशहाली के लिए कृषि आय दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन इसके बावजूद महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में संकट कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
महाराष्ट्र में पानी की कमी तथा बाढ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति पर किसी का बस नहीं है लेकिन यदि हम आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो आपदा से होने वाले नुकसान को कम कर काफी कुछ उसकी भरपायी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि केंद्र तथा महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने जनविरोधी नीतियों को अपनाया है जिनका खामियाजा सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं पूरे दश के लोगों को झेलना पड रहा है।
उन्होंने महाराष्ट्र में पानी की कमी पर गहरी चिंता जतायी और कहा कि इस समस्या का अगर जल्द समाधान नहीं किया जाता है, तो आने वाले दिनों में स्थिति और बदतर हो जाएगी। महाराष्ट्र के लोग पहले से ही पीने के पानी की कमी से जूझ रहे हैं और सूखी नदी के तल खोदकर पीनी के लिए पानी का सहारा ले रहे हैं।