नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से देश के हर नागरिक से संवाद करने का प्रयास कर उन्होंने इसे गैर-राजनीतिक बनाये रखा है और इसके जरिये समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ाने का काम किया है।
मोदी ने आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 50वें संस्करण में रविवार को कहा कि हर महीने लाखों की संख्या में पत्रों को पढ़ते, फोन कॉल्स सुनते, ऐप और माईगोव पर टिप्पणियाँ देखते और इन सबको एक सूत्र में पिरोकर, हल्की-फुल्की बातें करते-करते 50 संस्करणों का एक सफ़र, यह यात्रा हम सबने मिलकर पूरी कर ली है।
उन्होंने कहा कि आकाशवाणी पर अपने इस कार्यक्रम को कभी राजनीति या सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया। कार्यक्रम को लेकर हुए एक अध्ययन से भी स्पष्ट हुआ है कि इसमें राजनीति का समावेश नहीं किया गया और न ही उनकी सरकार ने इसे अपने कार्यों के गुणगान करने का मंच बनाया।
मोदी ने कहा कि सारे संस्करणों का शाब्दिक विश्लेषण करते हुए अध्ययन किया गया कि कौन शब्द कितनी बार बोला गया? कौन से शब्द हैं जो बार-बार बोले गए? उनकी एक खोज यह भी है कि यह कार्यक्रम गैर-राजनीतिक रहा। जब ‘मन की बात’ शुरू हुआ तभी मैंने तय किया था कि न इसमें राजनीति हो, न इसमें सरकार की वाह-वाही हो, न कहीं मोदी हो; और मेरे इस संकल्प को निभाने के लिए सबसे बड़ा संबल, सबसे बड़ी प्रेरणा मिली आप सबसे। हर ‘मन की बात’ से पहले आने वाले पत्रों, ऑनलाइन टिप्पणियों, फोन काॅल्स में श्रोताओं की अपेक्षाएं साफ़ होती हैं।
मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 50 संस्करण पूरा होने पर उन्हें इस बात की ज्यादा खुशी है कि इसके माध्यम से उन्होंने समाज में बदलाव लाने का प्रयास किया और देश का सामान्य नागरिक उनसे निकट साथी की तरह सवाल पूछता रहा है।
उन्होंने कहा कि मैं मानता हूँ ‘मन की बात’ के 50वें संस्करण की सबसे बड़ी सिद्धि यही है कि आप प्रधानमंत्री से नहीं, जैसे अपने एक निकट साथी से सवाल पूछ रहे हैं। बस, यही तो लोकतंत्र है। हर बार ‘मन की बात’ से लोगों के पत्र आते हैं। कॉल करके लोग अपने सन्देश अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड भी कराते हैं। मेरी कोशिश रहती है कि ‘मन की बात’ से पहले ज्यादा से ज्यादा पत्र और टिप्पणियां खुद पढूं। मैं काफी सारे फ़ोन कॉल भी सुनता हूं। आपके द्वारा भेजे गए आइडिया और इनपुट मैं बहुत बारीकी से पढ़ता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने हर तबके के व्यक्ति से संवाद करने का प्रयास किया और उन्हें पता भी नहीं चलता कि उनसे हुआ संवाद एक परिवर्तन की तरफ बढ गया है। देश के हर कोने से उन्हें इस कार्यक्रम के लिए पत्र मिलते रहे हैं और वह लोगों से अपने अनुभव बाँटते हैं और इससे ‘मन की बात’ कार्यक्रम ‘समाज की बात’ बन गया है।
मोदी ने कहा कि आपकी भेजी स्वच्छता की कहानियों ने, सामान्य लोगों के ढेर सारे उदाहरणों ने, न जाने कब घर-घर में एक स्वच्छता का नन्हा ब्रांड एम्बसडर खड़ा कर दिया है, जो घर वालों को भी टोकता है और कभी-कभी फोन कर प्रधानमंत्री को भी आदेश देता है। कब किसी सरकार की इतनी ताक़त होगी कि ‘सेल्फी विद डॉटर’ की मुहिम हरियाणा के एक छोटे से गांव से शुरू होकर पूरे देश में ही नहीं, विदेशों में भी फैल जाए। समाज का हर वर्ग, सेलेब्रीटीज, सब जुड़ जाएं और समाज में सोच-परिवर्तन की एक नई आधुनिक भाषा में, जिसे आज की पीढ़ी समझती हो ऐसी अलख जगा जाए। कभी-कभी ‘मन की बात’ का मजाक भी उड़ता है लेकिन मेरे मन में हमेशा ही 130 करोड़ देशवासी बसे रहते हैं। उनका मन मेरा मन है। ‘मन की बात’ सरकारी बात नहीं है – यह समाज की बात है। ‘मन की बात’ महत्वाकांक्षी भारत की बात है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी आएगा और चला जाएगा, लेकिन यह देश अटल रहेगा, हमारी संस्कृति अमर रहेगी। देशवासियों की छोटी-छोटी यह कहानियाँ हमेशा जीवित रहेंगी। इस देश को नयी प्रेरणा में उत्साह से नई ऊंचाइयों पर लेती जाती रहेंगी। मैं भी कभी-कभी पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे भी बहुत बड़ा आश्चर्य होता है। कभी कोई देश के किसी कोने से पत्र लिख कर कहता है – हमें छोटे दुकानदारों, ऑटो चलाने वालों, सब्जी बेचने वालों ऐसे लोगों से बहुत ज़्यादा मोल-भाव नहीं करना चाहिए।
मैं पत्र पढता हूं, ऐसा ही भाव कभी किसी और पत्र में आया हो तो उसको साथ गूंथ लेता हूं। दो बातें मैं अपने अनुभव की आप सबके साथ बांट लेता हूं और फिर न जाने कब यह बात घर-परिवारों में पहुंचती है, सोशल मीडिया और ह्वाटएप पर घूमती है तथा एक परिवर्तन की ओर बढ़ती रहती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि ‘मन की बात’ एक लोकप्रिय कार्यक्रम बन गया है और बड़ी संख्या में लोग इसे सुनते हैं। उन्होंने कहा कि यह और भी खुशी की बात है कि इस कार्यक्रम से नागरिकों में सकारात्कता की भावना बढ़ी है। कई लोगों में बदलावा आया है और समाज सेवा के कार्यों में भागीदार होने के लिए उनकी भावना बढ़ी है।
मोदी ने कहा कि हाल ही में आकाशवाणी ने ‘मन की बात’ पर सर्वेक्षण भी कराया। उनमें से कुछ फीडबैक काफी दिलचस्प हैं। जिन लोगों के बीच सर्वेक्षण किया गया है, उनमें से औसतन 70 फीसदी नियमित रूप से ‘मन की बात’ सुनते हैं। अधिकतर लोगों को लगता है कि ‘मन की बात’ का सबसे बड़ा योगदान यह है कि इसने समाज में सकारात्मकता की भावना बढ़ाई है। इससे बड़े पैमाने पर जन-आन्दोलनों को बढ़ावा मिला है।
इंडिया पॉजिटिव को लेकर व्यापक चर्चा भी हुई है। ये हमारे देशवासियों के मन में बसी सकारात्मकता की भावना की झलक है। ‘मन की बात’ से स्वेच्छा से कुछ करने की भावना बढ़ी है। एक ऐसा बदलाव आया है जिसमें समाज की सेवा के लिए लोग बढ़-चढ़ कर आगे आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम के जरिये रेडियो के लोकप्रिय होने पर भी खुशी जतायी और कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हुई कि ‘मन की बात’ के कारण रेडियो, और अधिक लोकप्रिय हो रहा है। केवल रेडियो ही नहीं, टीवी, एफ़एम रेडियो, मोबाइल, इन्टरनेट, फ़ेसबुक लाइव और नरेंद्रमोदी ऐप के माध्यम से भी ‘मन की बात’ में लोग अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं।