नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लद्दाख में भारत की तरफ आंख उठाने वालों को करारा देकर सेना ने अपने शौर्य का परिचय दिया है। मोदी ने रविवार को अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लद्दाख में चीन के साथ तनाव, कोरोना संकट समेत तमाम विषयों पर अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर जवाब देना भी जानता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने वीर-सपूतों के बलिदान पर, उनके परिजनों में गर्व की जो भावना है, देश के लिए जो ज़ज्बा है – यही तो देश की ताकत है। आपने देखा होगा, जिनके बेटे शहीद हुए, उनके माता-पिता, अपने दूसरे बेटों को भी, घर के दूसरे बच्चों को भी सेना में भेजने की बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को महसूस किया है। अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत की प्रतिबद्धता को भी देखा है।
हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने – यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।
कोरोना ने जीवन बदल दिया: मोदी
मोदी ने कहा कि कोरोना जैसा संकट नहीं आया होता तो शायद जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में इतनी समझ नहीं आ पाती और इस महामारी ने निश्चित रूप से हमारे जीवन जीने के तरीकों में बदलाव ला दिया है।
कोरोना जैसा संकट नहीं आया होता, तो शायद, जीवन क्या है, जीवन क्यों है, जीवन कैसा है, हमें, शायद, ये, याद ही नहीं आता। कई लोग, इसी वजह से, मानसिक तनावों में जीते रहे हैं तो दूसरी ओर, लोगों ने मुझसे ये भी साझा किया है कि कैसे लॉकडाउन के दौरान, खुशियों के छोटे-छोटे पहलू भी उन्होंने जीवन में दोबारा हासिल किए हैं। कई लोगों ने मुझे, पारम्परिक इनडोर खेल खेलने और पूरे परिवार के साथ उसका आनंद लेने के अनुभव भेजे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में पारम्परिक खेलों की बहुत समृद्ध विरासत रही है। जैसे, आपने एक खेल का नाम सुना होगा पचीसी, यह खेल तमिलनाडु में पल्लान्गुली, कर्नाटक में अलि गुलि मणे और आन्ध्र प्रदेश में वामन गुंटलू के नाम से खेला जाता है। कहा जाता है कि यह खेल दक्षिण भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया और फिर दुनिया में फैला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हर बच्चा सांप-सीढ़ी के खेल के बारे में जानता है। यह भी एक भारतीय पारंपरिक खेल का ही रूप है, जिसे मोक्ष पाटम या परमपदम कहा जाता है।आमतौर पर हमारे यहाँ घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों में कोई बड़े साधनों की जरूरत नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेलों के बारे में सुनकर बहुत सारे लोग अपने बचपन में लौट गए होंगे और बहुतों को अपने बचपन के दिन याद आ गए होंगे। मैं यही कहूँगा कि उन दिनों को आप भूले क्यों हैं? उन खेलों को आप भूले क्यों हैं? बमेरा, घर के नाना-नानी, दादा-दादी, घर के बुजुर्गों से आग्रह है कि नई पीढ़ी में ये खेल आप अगर हस्तान्तरित नहीं करेंगे तो कौन करेगा! जब ऑनलाइन पढ़ाई की बात आ रही है, तो संतुलन बनाने के लिए, ऑनलाइन खेल से मुक्ति पाने के लिए भी, हमें, ऐसा करना ही होगा। हम भारत के पारम्परिक इनडोर खेलों को नए और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें।
मोदी ने कहा कि यह सत्य है कि आत्मकथा या जीवनी, इतिहास की सच्चाई के निकट जाने के लिए बहुत ही उपयोगी माध्यम होती है। आप भी, अपने बड़े-बुजुर्गों से बातें करेंगे, तो, उनके समय की बातों को, उनके बचपन, उनके युवाकाल की बातों को और आसानी से समझ पाएंगे।कोरोना काल में बेहतरीन मौका है कि बुजुर्ग भी अपने बचपन के बारे में, उस दौर के बारे में, अपने घर के बच्चों को बताएं।