नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर भारतीय सैनिकों के शौर्य को नमन किया और देशवासियों का आह्वान किया कि युद्ध की परिस्थितियों में हमारे आचार, व्यवहार और वाणी से सैनिकों के मनोबल पर विपरीत असर नहीं हो तथा सोशल मीडिया पर देश को नुकसान पहुंचाने वाली पोस्ट को बढ़ावा नहीं दें।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में युद्ध केवल सीमा पर नहीं बल्कि कई मोर्चाें पर एक साथ लड़ा जाता है जिसमें हर देशवासी को अपनी कोई ना कोई भूमिका तय करनी हाेती है।
मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों से कहा कि युद्ध की परिस्थिति में, हम जो बात कहते हैं, करते हैं, उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर उसके परिवार के मनोबल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। ये बात हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए और इसीलिए हमारा आचार, हमारा व्यवहार, हमारी वाणी, हमारे बयान, हमारी मर्यादा, हमारे लक्ष्य, सभी, कसौटी में ये जरूर रहना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं, कह रहे हैं, उससे सैनिकों का मनोबल बढ़े, उनका सम्मान बढ़े। राष्ट्र सर्वोपरि का मंत्र लिए, एकता के सूत्र में बंधे देशवासी, हमारे सैनिकों की ताक़त को कई हज़ार गुणा बढ़ा देते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी हम इस बात को समझे बिना सोशल मीडिया पर ऐसी चीजों को बढ़ावा दे देते हैं जो हमारे देश का बहुत नुकसान करती हैं। कभी-कभी जिज्ञासावश फॉरवर्ड करते रहते हैं। पता है कि ये गलत है, फिर भी करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि आजकल, युद्ध, केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते हैं, देश में भी कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाता है, और, हर एक देशवासी को उसमें अपनी भूमिका तय करनी होती है। हमें भी अपनी भूमिका, देश की सीमा पर, दुर्गम परिस्तिथियों में लड़ रहे सैनिकों को याद करते हुए तय करनी होगी।
मोदी ने कारगिल विजय दिवस को याद करते हुए कहा कि 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था। कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो भारत कभी नहीं भूल सकता। पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मन्सूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहाँ चल रहे आन्तरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था।
उन्होंने कहा कि भारत तब पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था, लेकिन दुष्ट का स्वभाव ही होता है, हर किसी से बिना वजह दुश्मनी करना। ऐसे स्वभाव के लोग, जो हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं इसीलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान द्वारा पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई थी, लेकिन, उसके बाद भारत की वीर सेना ने जो पराक्रम दिखाया, भारत ने अपनी जो ताकत दिखाई, उसे पूरी दुनिया ने देखा।
उन्होंने कहा कि ऊचें पहाडों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेनाएँ, हमारे वीर जवान, लेकिन, जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं – भारत की सेनाओं के ऊंचे हौसले और सच्ची वीरता की हुई। उन्होंने याद किया कि उस समय उन्हें कारगिल जाने एवं हमारे सैनिकों की वीरता के दर्शन करने का सौभाग्य मिला था जो उनके जीवन के अनमोल क्षणों में से एक है।
उन्होंने कहा कि मैं, आज, सभी देशवासियों की तरफ से, हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उन वीर माताओं को भी नमन करता हूं, जिन्होंने, मां-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया। मेरा देश के नौजवानों से आग्रह है कि आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियां, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएं। उन्होंने सलाह दी कि लोग गैलेन्ट्रीअवॉर्ड्स डॉट गॉव डॉट इन पर जाकर हमारे वीर पराक्रमी योद्धाओं और उनके पराक्रम के बारे में जानकारियां प्राप्त करें और उससे प्रेरणा लें।
मोदी ने कहा कि जिस प्रकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि किसी को कभी कोई दुविधा हो कि उसे क्या करना, क्या नहीं करना चाहिए तो, उसे भारत के सबसे गरीब और असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए। उसे ये सोचना चाहिए कि जो वो करने जा रहा है, उससे उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं होगी। उसी प्रकार से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहा था कि कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले हम ये सोचें कि क्या हमारा ये कदम उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहुति दी थी। मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने वाजपेयी के उक्त उद्धरण की रिकॉर्डिंग भी सुनाई।