नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि खेलों और विशेषकर भारतीय खेलों की कमेंट्री देश की अलग-अलग भाषाओं में हो और इसको प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने रविवार को रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात के सम्बोधन में कहा कि वह खेल मंत्रालय और निजी संस्थान के सहयोगियों से इस बारे में सोचने का आग्रह करेंगे।
मोदी ने कार्यक्रम के दौरान केवडीया में स्थित पर्यटन स्थल सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैचू ऑफ़ यूनिटी’ में एक पर्यटक गाइड की आवाज़ की रिकॉर्डिंग सुनायी। इसमें गाइड संस्कृत में लोगों को सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के बारे में बता रही हैं। मोदी ने ख़ुशी जताई कि केवड़िया में 15 से ज्यादा गाइड धारा प्रवाह संस्कृत में पर्यटकों को जानकारी देते है।
उन्होंने श्रोताओं को वाराणसी के संस्कृत महाविद्यालयों के बीच आयोजित होने वाली क्रिकेट कमेंट्री की रिकॉर्डेड आवाज़ भी सुनायी जो संस्कृत में थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाराणसी के शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनेशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच आयोजित होने वाले क्रिकेट मैचों के दौरान संस्कृत में कमेंट्री की जाती है। इस टूर्नामेंट में, खिलाड़ी और कमेंटेटर पारंपरिक परिधान में नजर आते हैं।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा और रोमांच सब कुछ एक साथ चाहिए तो खेलों की कमेंट्री सुननी चाहिए। टी.वी. आने से बहुत पहले, खेल की कमेंट्री ही वह माध्यम थी, जिसके जरिए क्रिकेट और होकी जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे। टेनिस और फ़ुटबॉल मैचों की कमेंट्री भी बहुत अच्छी तरह से पेश की जाती है।
मोदी ने कहा कि जिन खेलों में कमेंट्री समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है। हमारे यहां भी बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें कमेंट्री नहीं आई है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं।