सबगुरु न्यूज-सिरोही। सार्दुलपुरा आवासीय परियोजना से सिरोही नगर परिषद ने अतिक्रमण हटाने का अभियान मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रखा। लेकिन, खबर ये नहीं है। अतिक्रमण हटाना सामान्य प्रक्रिया है।
खबर ये है कि इस कॉलोनी में पिछले एक दशक में अतिक्रमण हटाने का ये अभियान चौथी बार चल रहा है। हर बार अतिक्रमण करने और उन्हें बेचने में एक महिला का नाम हर बार सामने आया। हर बार ये नाम सुनकर ये कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सिरोही प्रशासन ने पुरुष ही नहीं महिला भू-माफिया के सामने भी घुटने पर ही है।
-मिले भूमि-बेचान के कई एग्रीमेंट
जिला मुख्यालय पर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करके उन्हें खुर्द-बुर्द करने वाले करीब आधा दर्जन भू-माफिया सक्रिय हैं। इनमें भी आधे राजनीतिक वरदहस्ती के कारण सफेदपोश हो चुके हैं। इन लोगों के लिए अतिक्रमण के कोई इलाके बंधे नहीं हैं। कहीं भी किसी भी जमीन के अतिक्रमण करके उन पर कब्जा साबित करने की ये गेंग आज भी सक्रिय है। शेष अतिक्रमी सरकारी कर्मचारियों की सरपरस्ती में क्षेत्रवार पल रहे हैं। इनमें ये महिला भू-माफिया भी शामिल है।
सिरोही तहसीलदार और नगर परिषद आयुक्त महेन्द्रसिंह के नेतृत्व में अतिक्रमण तोडऩे का काम जब चल रहा था तो कई अतिक्रमियों के नाम पर एक महिला का नाम आया। आंखों में आंसू बहाते हुए रुंधे गले से इन लोगों ने उस महिला का नाम लेते हुए अतिक्रमणों को दो से तीन लाख रुपये में बेचने की बात कही। ऐसे करीब पांच एग्रीमेंट भी तहसीलदार, आयुक्त और मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किए।
यहां पर एक पुरुष का नाम भी प्रमुखता से सामने आया जो सार्दुलपुरा स्कीम और इसके आसपास की जमीनों पर कब्जा करके उन्हें खुर्दबुर्द करने के मामले में पहले से ही नामचीन रहा है। इन्हीं अतिक्रमणों ने इसे एक वार्ड में चुनाव प्रभावित करने की स्थिति में ला दिया है।
अतिक्रमण तोडऩे के दौरान कुछ मामले ऐसे भी आए जिनमें यहां की प्रमुख राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता द्वारा सौ रुपये के एग्रीमेंट पर दो-दो लाख रुपये में कब्जे बेचने कब्जे खरीदे बेचे गए। सरकारी कार्मिकों के रिश्तेदारों द्वारा बेचे कब्जों के दस्तावेज भी सामने आए तो अतिक्रमण खरीदकर ठगाने वाले सरकारी कर्मचारियों के नाम भी। कुल जमा, इस क्षेत्र में सरकार की जमीनों को कब्जे में करके उन्हें गरीब और जरूरतमंद लोगों को बेचने का गोरखधंधा पूरे जोरों पर है।
– आखिर एफआईआर क्यों नहीं?
सरकारी जमीनों पर कब्जा करके उसे दूसरे को बेच देना ठीक उसी तरह कानूनी अपराध है, जैसा कि किसी दूसरे की कोई सामग्री को चुराकर, छीनकर या कब्जा करके किसी दूसरे को बेच देना। जो पीडि़त है वह आईपीसी में मुकदमा कर सकता है। जमीनों के मामलों में जमीनें या तो राज्य सरकार की होती हैं या नगर परिषदों की। इन पर कब्जा करके बेचने पर जिला कलक्टर और संबंधित निकाय के एक्ज्यूकेटिव ऑफीसर एफआईआर करवा सकते हैं।
दस्तावेज आने के बाद भी एफआईआर नहीं दर्ज करवाने का परिणाम यह हो रहा है कि सरकारी अधिकारियों के प्रश्रय से फलफूल रहे भू-माफिया गरीबों को लूट रहे हैं। दस्तावेजों के हाथ में आने के बाद यदि आयुक्त ऐसे लोगों पर एफआईआर दर्ज नहीं करवाते तो ये एक बार फिर ऐसे लोगों को प्रश्रय और इनके आगे घुटना टेक देने से कम नहीं है।
– इस बात को लेकर विरोध भी
नगर परिषद के बुलडोजर सबसे पहले कच्चे झोपड़े पर चले। लेकिन, वहां पूरी कॉलोनी को कब्जे बेचने वालों को छोडक़र सबसे पीछे के मकानों को तोडऩे का विरोध होने लगा। इस पर प्रशासन को फिर से शुरुआत में स्थित मकान को तोडऩे के लिए जाना पड़ा। सार्दुलपुरा कॉलोनी में करीब 54 अतिक्रमण हैं। इसमें कच्चे और पक्के दोनों तरह के अतिक्रमण शामिल हैं।
-पुनर्वास की जरूरत
सिरोही में ठंड का जबरदस्त प्रकोप है। ऐसे में अतिक्रमण स्थल पर अतिक्रमियों को हटाने से पहले उनके लिए अस्थाई पुनर्वास की भी जरूरत है। वैसे एक अतिक्रमित भूखण्ड में हाल ही में गर्भवती हुई महिला के रहने पर उसे छोड़ तो दिया गया, लेकिन शेष अतिक्रमियों के साथ भी बच्चे और बुजुर्ग हैं। इन्हें सर्दी के दौरान अस्थाई पुनर्वास देने की जरूरत है। वैसे कई मामले ऐसे भी सामने आए जिसमें अतिक्रमण हटाने के नोटिस मिलने के बाद भी अतिक्रमियों ने यहां पर अस्थाई रूप से लोगों को रहने का स्थान दिए जाने की जानकारी सामने आई है।
इनका कहना है…
जमीन बेचने के एग्रीमेंट हाथ आया है। और दस्तावेज एकत्रित करके ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। अतिक्रमण स्थल पर जो बेघर हैं, उनके लिए अमर नगर स्थित रैन बसेरे में व्यवस्था की है।
महेन्द्रसिंह चौधरी
आयुक्त, नगर परिषद, सिरोही।