नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस की अल्पसंख्यक वोट हासिल करने एवं धर्मनिरपेक्षवाद को पुनर्परिभाषित करने की रणनीति से हिन्दू बहुसंख्यक भड़केंगे और उससे दूर हो जाएंगे।
जेटली ने फेसबुक पर पोस्ट अपने एक लेख में यह दावा भी किया कि कांग्रेस में बहुत से लोगों को इस बात का एहसास हो गया है कि 2019 उनका चुनाव नहीं है। उन्होंने कहा कि एेसी परिस्थिति में चुनाव के बाद कांग्रेस हाशिए पर चली जाएगी और क्षेत्रीय दलों का संघीय मोर्चा मुख्य विपक्ष की जगह प्राप्त कर लेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध अंकगणित को मज़बूत करने की कांग्रेस पार्टी की रणनीति खुद उसके लिए एक दोधारी तलवार है। इससे कांग्रेस हाशिए पर जा सकती है और संघीय मोर्चा विपक्ष का स्थान घेर सकता है। कांग्रेस की दूसरी रणनीति संघीय मोर्चे के विरुद्ध है।
कुछ मुद्दों पर वह भाजपा पर हमला करने के साथ ही अल्पसंख्यक वोटों को पुन: हासिल करने के लिए संघीय मोर्चे से भी जूझ रही है। हिन्दुओं की तालिबान के साथ तुलना करने तथा हिन्दू पाकिस्तान जैसे शब्दावली गढ़ने का मकसद संघीय मोर्चे के खिलाफ अल्पसंख्यक वोट बटोरना है।
वर्षों तक भाजपा के चुनावी रणनीतिकार रहे जेटली ने कहा कि कांग्रेस की यह रणनीति उलटा असर डालेगी। भारतीय लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों के समान भागीदार के तौर पर ही वोट देने का संवैधानिक अधिकार है।
सेकुलरवाद को पुनर्परिभाषित करने के लिए बहुसंख्यकों की जोरशोर से निंदा करके कांग्रेस बहुसंख्यकों को खुद के विरुद्ध भड़काने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा हमेशा होता है जब चुनाव में पार्टी के पास अक्षम नेतृत्व और मुद्दाविहीनता की स्थिति हो।
राफेल विमान सौदे के मुद्दे काे उछालने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए जेटली ने कहा कि उसने यह मुद्दा केवल आगामी आम चुनावों के लिए ‘गढ़ा’ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार के कारण दागदार रही है और प्रधानमंत्री मोदी ने एक घोटाला मुक्त सरकार दी है। कांग्रेस की रणनीति एक अपवाद पैदा करने की है। अगर आपके पास कोई मुद्दा नहीं है, तो एक मुद्दा गढ़ लीजिए। इस प्रकार से राफेल का फर्जी विवाद गढ़ा गया।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उछाले जाने का कोई फायदा नहीं है। पिछले वर्षों में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के मंत्रियों ने भी विमान में लगे हथियारों की लागत का खुलासा नहीं किया था क्योंकि यह देश के व्यापक हित में नहीं है।
इसीलिए राहुल गांधी का बयान, कि फ्रेंच राष्ट्रपति इमेनुअल मैक्रों ने उन्हें बताया है कि गोपनीयता संबंधी कोई करार नहीं है, धराशायी हो गया। अगले दिन कांग्रेस ने राफेल के मुद्दे को दूसरे लचर आधार पर उठाने लगे।