सबगुरु न्यूज। कुछ समय पहले तक चालबाज चीन दुनिया में अकड़ दिखा रहा था। अब कोरोना वायरस को लेकर दुनिया के कई देश चीन की चालबाजी समझने लगे हैं। अमेरिका तो शुरू से ही चीन पर यह खुलेआम आरोप लगा रहा है कि वुहहान की लैब से ही पूरी दुनिया में यह खतरनाक वायरस फैला हुआ है। अब अमेरिका के बाद इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन ने भी चीन को वायरस फैलाने का जिम्मेदार बताया है। इन देशों के हमले करने से चीन बौखला गया है। गौरतलब है कोरोना से जूझ रहे दुनिया के तमाम देशों में इस बीमारी के पीछे चीन का हाथ होने की चर्चाएं हो रही हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप काफी आक्रामक होकर इस मामले में चीन का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने वायरस फैलने की जांच कराने की बात कहते हुए चेतावनी दी है कि यदि इसमें चीन का हाथ साबित होता है तो उसे इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। उधर ब्रिटेन ने अमेरिकी जांच दल के साथ अपने जांचकर्ताओं को भेजने की बात कही है।
अमेरिका और चीन में एक बार फिर बढ़ती जा रही है दुश्मनी
अमेरिका को चीन से इस कदर नाराज है कि उसको लगातार भारी कीमत चुकाने की धमकी भी दे रहा है। इन सबके बावजूद चीन इन धमकियों को अभी तक नजरअंदाज कर रहा है लेकिन आने वाले समय में चीन को अपनी यह भारी पड़ सकती है। आपको बता दें कि अभी कुछ माह पहले भी चीन और अमेरिका अपने व्यापारिक समझौते को लेकर भी आमने-सामने आ गए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि चीन अगर चाहता तो इस खतरनाक वायरस को दुनिया में फैलने से रोक सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
इस मामले में चीन की भूमिका को लेकर दुनिया भर में संदेह गहराता जा रहा है। वुहान जहां से इस बीमारी की शुरुआत हुई है, वहां पर इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में पिछले सप्ताह अचानक पचास फीसद की वृद्धि से लोगों की शंका और बढ़ गई है। इसी के बाद अमेरिका ने कहा कि हम इस बात की जांच कराएंगे कि वायरस वुहान की लैब से दुनियाभर में फैला या नहीं। चीन भी कम शातिर नहीं है वह अमेरिका को वुहान लाइव लैब में किसी कीमत पर घुसने नहीं देगा।
कई देशों की कंपनियां चीन से निकलना भी चाह रही हैं
अमेरिका अपने साथ कई देशों को चीन के खिलाफ तेजी साथ खड़ा करता जा रहा है। आज कई देशों की कंपनियां भी चीन की शातिर हरकत को समझ रही हैं और अपने आपको वहां से दफ्तर ऑफिस समेटना चाहती हैं। दरअसल यह सभी कंपनियां चीन में भारी दिक्कतों का सामना कर रही। ऐसे कंपनियों की संख्या लगभग 1000 से भी अधिक बताई जा रही है।
अगर कंपनियां चीन से वापस आती है तो इस फैसले के बाद चीन की अर्थव्यवस्था पर भी भारी असर देखने को मिलेगा। अगर यह कंपनियां चीन को छोड़ती हैं तो भारत को भी इसका फायदा हो सकता है। आज कई कंपनियां भारत में अपने व्यापार को लेकर संभावना तलाश करने में जुटी हुई हैं। हालांकि भारत ने अभी इस पर कोई खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दी है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार