कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित विश्व के कई देशों ने भारत पर विश्वास जताया है। 15 देशों ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजने का अनुरोध किया था जिस पर भारत तैयार हो गया।
कोरोना वायरस से प्रभावित देशों ने लेकर चीन पर विश्वास नहीं किया है। सबसे पहले अमेरिका ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की डिमांड भारत से रखी थी इसके बाद अन्य देश भारत से दवा मंगाने के लिए आगे आते रहे। भारत में कोविड-19 मरीज का इलाज करने वाले मेडिकल और हेल्थकेयर वर्कर द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के उपयोग की अनुमति है।
भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग करने वालों में अमेरिका, ब्राजील, रूस, इजरायल, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, मलेशिया, स्पेन,अबू धाबी आदि देश शामिल हैं। भारत महामारी के संभावित सबसे खराब स्थिति से निपटने के मद्देनजर अपनी आबादी के लिए दवा का स्टॉक कर रहा है। दूसरी ओर भारत के इस दवा को विदेशों में निर्यात किए जाने को लेकर आलोचना भी की जा रही है, लेकिन इस सबके बावजूद केंद्र की मोदी सरकार इसकी कोई परवाह नहीं कर रहा है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से बार-बार बताया जा रहा है कि देश में पर्याप्त हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का पर्याप्त मात्रा में भंडार मौजूद है।
संकट की घड़ी में सभी देशों को साथ लेकर चलने का भारत ने दिया संदेश
कोरोना संकट काल के दौरान भारत ने दिखा दिया है कि वह अपने देश ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों के साथ हर कदम हर सुख दुख में मजबूती साथ खड़ा हुआ है। जैसे भारत अन्य देशों का इस महामारी से लड़ने के लिए साथ दे रहा है वैसे दूसरों देशों को भी सहायता करनी चाहिए। भारत हमारा देश की एकता और अखंडता के साथ दुनिया में अपनी पहचान रखता है। महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर भारत सरकार का लिया गया निर्णय शानदार कहा जा सकता है। केंद्र सरकार ने सभी पड़ोसी देशों, जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं, को उचित मात्रा में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन भेजी है।
दूसरी ओर कई देश आज इस दवा को लेकर चीन पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं कर रहे हैं। यहां हम आपको बता दें कि अभी चीन ने पाकिस्तान समेत कुछ देशों में मास्क और दवाई भेजी थी, बाद में यह दवाएं उनकी क्षमताओं पर खरी नहीं उतर सकी थी। इन देशों ने चीन पर यह दवा को लेकर कई आरोप भी लगाए गए हैं।
भारत आज विश्व के शक्तिशाली देशों में आ खड़ा हुआ
कोरोना वायरस फैलने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल नीतियों की कोरोना प्रभावित कई देश भारत की प्रशंसा कर रहे हैं। दूसरी तरफ देखें तो अमेरिका के साथ भी भारत के संबंध अब तक के इतिहास में सबसे उत्कृष्ट स्तर पर है। ऐसे में बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था में यदि अमेरिका का चीन के साथ आर्थिक संबंध खराब होता है तो भारत का संबंध भी अछूता नहीं रहेगा। वैसे कोरोना के कारण जिस प्रकार से वैश्विक हालात में बदलाव आ रहे हैं, उसमें भारत की अहमियत दुनिया भर में बढ़ गई है। और चीन की ओर उन्मुख देश भी भारत के साथ आ सकते हैं।
भारत की स्थिति दोनों में से किसी एक के साथ रहने की बन सकती है और यहां संभव है कि भारत एक बार फिर गुटनिरपेक्षता की अपनी नीति को अमल में लाए। कोरोना के विश्वव्यापी प्रकोप को देखते हुए चीन पर कई तरह के सवाल तो उठ ही रहे हैं, साथ ही एक नवीन वैश्विक व्यवस्था की भी परिकल्पना सामने आने लगी है। ऐसे में भारत का रुख क्या होगा या क्या होना चाहिए यह एक बड़ा प्रश्न है। हालांकि वर्तमान परिदृश्य के हिसाब से देखा जाए तो दुनिया के ज्यादातर देश आने वाले समय में चीन के खिलाफ लामबंद होंगे, तो ऐसे में चीन को भारत की ज्यादा जरूरत महसूस होगी।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार