नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र में मराठाओं को शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण देने संबंधी वर्ष 2018 के कानून को लागू करने पर रोक लगा दी लेकिन आदेश दिया कि जो इसका लाभ उठा चुके हैं उन्हें किसी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम इस मामले की सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया। पीठ ने इस मसले के निस्तारण के लिए मामले को वृहद पीठ को सौंप दिया। पीठ ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश निर्धारित करेंगे कि यह मामले के निपटारे के लिए किस तरह की वृहद पीठ गठित की जाए और कौन उसकी अध्यक्षता करेगा।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस वर्ष के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम की प्रवेश संबंधी प्रक्रिया में कोई छेड़छाड़ न की जाए। उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को चुनौती देते हुए कई याचिकायें दायर की गई थीं।
पीठ ने कहा कि इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाएगा जो वृहद पीठ को सौंपने के बारे में जरूरी आदेश पारित करेंगे। न्यायालय ने कहा कि अब नौकरियों और प्रवेश में मराठा आरक्षण का कोई प्रभाव नहीं होगा। इस वर्ष पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में जो प्रवेश हो चुके हैं, उस पर हालांकि कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।