अजमेर। प्रदेश के मार्बल एवं ग्रेनाईट उद्योग के संकट तथा इस कारोबार से जुडे व्यावसाईयों को हो रहे नुकसान के चलते राहत दिए जाने की मांग करते हुए सांसद भागीरथ चौधरी ने केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखा है।
अजमेर सांसद चौधरी ने किशनगढ मार्बल ऐशोसिएसन किशनगढ से प्राप्त ज्ञापन को दृष्टिगत रखते हुए सम्पूर्ण प्रदेश के मार्बल एवं ग्रेनाईट व्यवसाय पर कोविड-19 के चलते हुए आर्थिक नुकसान से मार्बल व्यवसाय को बूस्ट देने के लिए केन्द्रीय वित्तमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि देश में राजस्थान प्रदेश, मार्बल एवं ग्रेनाईट उत्पाद का सबसे बड़ा केन्द्र होने के साथ-साथ प्रदेश में कृषि केे बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला व्यवसाय भी है।
वर्तमान में प्रदेश के 33 जिलों में से 23 जिलों में मार्बल एवं ग्रेनाईट का खनन एवं उत्पादन का कार्य हो रहा है। जिसमें लगभग 50 लाख लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। लेकिन विश्वव्यापी कोविड-19 और लॉकडाउन के चलते सम्पूर्ण देश में औद्योगिक गतिविधियां गत दो माह से बन्द सी है।
ऐसे में मार्बल एवं ग्रेनाईट उद्यमी केन्द्र एवं राज्य सरकार से उक्त व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के लिए अपेक्षित आर्थिक पेकेज सहित महत्वकांक्षी योजना की आस लगाए बैठे है जिससे उनका आजिविका का साधन यह मार्बाल एवं गेनाईट व्यवसाय पुनः अपनी पूर्व गति में आ सके।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुनः मूल स्वरूप में लाने और विकास की गति को आगे बढाने के लिए आत्म भारत अभियान के तहत आर्थिक पेकेज की घोषणा की है और वोकल फॉर लोकल को दृष्टिगत किया है ताकि देश का पैसा देश के नागरिकों के ही काम आ सके और स्थानीय अर्थ तंत्र मजबूत हो जिसके माध्यम से हम आत्मनिर्भर बन सकें।
वर्तमान में पूरे प्रदेश में मार्बल एंव ग्रेनाईट की लगभग 3000 गेंगसा इकाईयां संचालित है ये सभी सूक्ष्म एवं लघु उद्योग की परिभाषा में आती है जोकि सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन वर्तमान में उक्त दोंनों उत्पादों पर दिनांक 10.11.2017 से जीएसटी की दर 18 प्रतिशत चली आ रही है। जोकि जीएसटी की कर दरें तय करते समय सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की भारी उपेक्षा एवं अनदेखी का परिणाम है, जबकि पूर्व में सेल्स टैक्स के समय इन उत्पादों की दर मात्र 5 प्रतिशत ही थी।
उक्त दर के चलते गत 1.5 वर्षों में इन दोनों उत्पादों के खनन एवं प्रसस्करण में लगभग 10 करोड़ का सम्भावित नया निवेश भी थम सा गया है वहीं दूसरी ओर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत ही रहने पर आने वाले समय में भी 10 हजार करोड़ के निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जिसके चलते वर्तमान में कार्यरत हजारों इकाईयों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा तथा मार्बल एवं ग्रेनाईट का विशाल व्यापार भी चौपट हो जाएगा।
चौधरी ने पत्र में कहा कि प्रदेश के मार्बल एवं ग्रेनाइट उद्यमियों को आजिविका संकट को दृष्टिगत रखते हुए मार्बल एवं ग्रेनाईट उद्योग के लिए एक आर्थिक पेकेज स्वीकृत किया जाए। इसके साथ ही उक्त उद्योगों को पुनः गतिशील बनाने के लिए जीएसटी दर को तर्कसंगत कर 18 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कराते हुए देश में मार्बल निर्यात की प्रचलित प्रक्रिया को भी सरलीकरण कराने की आवश्यकता है। किसी भी उद्योग में नए निवेश से ही उछाल आता है निवेशकों को आकर्षित करने का सहज एवं सरल उपाय यह है कि करों में छूट प्रदान की जाए।