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आग बरसाता धरती पुत्र मंगल ग्रह
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आग बरसाता धरती पुत्र मंगल ग्रह

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आग बरसाता धरती पुत्र मंगल ग्रह

सबगुरु न्यूज। आकाशीय ग्रह मंगल का भ्रमण वर्तमान में मकर राशि के तारामंडल में हो रहा है और यह तारामंडल शनि ग्रह के प्रभाव क्षेत्र में माना जाता है। इस राशि में मंगल अपने शक्ति के प्रचंड रूप में होता है और इस कारण मंगल की उच्चतम राशि मानी जाती है।

मंगल ग्रह अपनी आग रूपी मिसाइल से दुनिया पर वार करता है और आग बरसाता हुआ नदी, तालाब, कुएं, बावड़ी, समुद्र के पानी में आग लगाकर भांप बना देता है, यहां तक की जीवों के शरीर में भी जल की मात्रा को सूखा देता है। अपने स्वभाव के अनुसार यह भूकंप, भूस्खलन, ज्वालामुखी, अग्निकांड, रेल हादसा, वायु व सड़क दुर्घटना को बढस देता है और दुनिया के देशों को युद्ध के कगार पर खडा कर देता है।

शनि ग्रह के नियंत्रण से बाहर निकल कर 2 मई को स्वतंत्र होकर मकर राशि में मंगल निरंकुश बन दुनिया को चुनौती दे रहा है और अपने गुणों के अनुसार वो फल दे रहा है उसके सामने विस्फोट व धमाके करनें वाला तथा हवा में मार करने वाला राहू ग्रह बैठ उसे उकसा रहा है और केतु के साथ बैठ मंगल बुरे प्रभावों को दे रहा है। पश्चिम ओर पूर्व के क्षेत्रों को चुनौती देते हुए यह ग्रह अपने प्रभावों से दुनिया को प्राकृतिक प्रकोपो से पीड़ित करने लग गये हैं और मोसमी बीमारियों से सावधान रहने के संकेत दे रहे हैं।

यह सब ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है साथ ही वर्तमान में मेष राशि का सूर्य भी अग्नि तत्व कारक है और मंगल का अपनी उच्चतम राशि में भ्रमण करना पृथ्वी पर भारी मात्रा में गरमी के शोले बरस रहे हैं और सर्वत्र जल के स्त्रोत कम होते जा रहे हैं, इसलिए जल का घरों में उचित प्रबन्धन करना श्रेष्ठ है और जहां जरूरत हो वहां जलदान कर मानव व जीवों के लिए सेवा करें। छाया के जगह जगह इंतजाम करे।

क्रोध व वैमनस्यता पर नियंत्रण रखे ताकि शरीर की गर्मी नहीं बढे और ना भूखे पेट रहे और ना ही किसी को रहने दें। आवश्यकता होने पर ही यात्रा करें तथा लगातार जल का सेवन करते रहें। यही समय की मांग है।

आकाश में भ्रमण करता हुआ यह मंगल ग्रह अंगारे बरसाता प्रतीत होता है और धार्मिक मान्यताओं में इसे धरतीपुत्र भी माना जाता है। यह मेष राशि व वृश्चिक राशि का स्वामी होता है तथा मकर राशि में यह उच्चतम तथा कर्क राशि मे निम्नतम स्थिति में होता है। इस की प्रकृति आक्रमक योद्धा की तरह अग्नि तत्व कारक युद्ध खून खराबा और दुर्घटना का कारक ग्रह माना जाता है।

वर्तमान में यह शनि व केतु के बीच में भ्रमण कर रहा है तथा सूर्य व राहू को देख कर अति उत्तेजित हो रहा है और पृथ्वी पर अपनें गुणों के प्रभाव डाल रहा है। जून 2018 मंगल वक्र गति से चलने लग जाएंगे। 27 अगस्त 2018 को मकर राशि में मार्गी होगे। 6 नवंबर 2018 कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह का यह भ्रमण तथा शनि ग्रह से बना दूसरा व बारहवा योग दुनिया के इतिहास में एक नए व बडे घटनाक्रम को लिखने का काम करेगा तथा दुनिया में महाशक्ति शाली देशो के अर्थ को बदल देगा।

संत जन कहते हैं कि ये मानव आकाशीय ग्रह तो अपनी प्रकृति के अनुसार व्यवहार करेंगे, यह एक मान्यता है लेकिन तू अपने व्यवहारों को अच्छी व सकारात्मक सोच से अंजाम दे। गर्म माहौल को ठंडा बनाने की ओर बढ़ तथा जीव व जगत की सेवा कर और मानव संस्कृति की रक्षा कर।

सौजन्य : भंवरलाल