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Martyr waiting for Kushinagar in snow storm in Jammu and Kashmir - Sabguru News
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जम्मू कश्मीर में बर्फीले तूफान में शहीद का कुशीनगर को इंतजार

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जम्मू कश्मीर में बर्फीले तूफान में शहीद का कुशीनगर को इंतजार
Martyr waiting for Kushinagar in snow storm in Jammu and Kashmir
Martyr waiting for Kushinagar in snow storm in Jammu and Kashmir
Martyr waiting for Kushinagar in snow storm in Jammu and Kashmir

कुशीनगर। बर्फीले तूफान की चपेट में आने से शहीद सैनिक चंद्रभान चौरसिया के पार्थिव शरीर का कुशीनगर के दुमही में बेसब्री से इंतजार हो रहा है।

खराब मौसम के कारण सेना के अफसरों ने सड़क और हवाई सेवा ठप होने का हवाला देते हुए पार्थिव शरीर भेजने में देरी होने की संभावना जताई है। अगर मौसम ठीक रहा तो शुक्रवार को हवाई मार्ग से वाराणसी और वहां से सड़क मार्ग से दुमही लाया जाएगा। गांव के नौजवानों ने मुख्य मार्ग से शहीद के घर तक के रास्ते को साफ किया। गांव के बाहर स्थित देवामनि ताल के किनारे अंतिम संस्कार की तैयारी की गई है।

गौरतलब है कि सेवरही थाना क्षेत्र के दुमही गांव निवासी 27 वर्षीय जवान चंद्रभान चौरसिया सोमवार को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पाकिस्तान से सटे माछिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर ड्यूटी के दौरान हिमस्खलन की चपेट आकर शहीद हो गए थे। मंगलवार को सैन्य मुख्यालय से शहीद के परिजनो को दुखद सूचना मिली थी। परिवार को गुरुवार की दोपहर तक शहीद के पार्थिव शरीर को भेजे जाने की बात बताई गई थी लेकिन आज सुबह सूचना दी गई कि खराब मौसम के कारण श्रीनगर हवाई अड्डे से विमान उड़ान नहीं भर सका। सड़क मार्ग भी खराब है। अगर मौसम ठीक रहा तो शुकवार की दोपहर तक वाराणसी एयरपोर्ट तथा वहां से सड़क मार्ग से पार्थिव शरीर गांव भेजा जाएगा।

आज सुबह से ही शहीद के गांव में लोगों की भीड़ थी। देर शाम तक लोग परिवार को सांत्वना देने के लिए मौजूद रहे। एसडीएम तमकुहीराज एआर फारूखी तथा सीओ नितेश प्रताप सिंह ने गांव का दौरा किया। गांव के उत्तर तरफ देवामनि ताल के पास जाकर प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल की सफाई तथा अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी ली।

गांव के युवकों ने कसया-तमकुही मार्ग स्थित सीताराम चौराहे से लगायत अंत्येष्टि स्थल तक करीब दो किलोमीटर लंबे रास्ते की सुबह सफाई की। सड़क को साफ करने के साथ ही दोनों तरफ चूना गिराकर संकेतक भी बना दिया। गांव के अभय सिंह, रंजन सिंह, संदीप पटेल, मनोज कुमार, अमित सिंह, संजय कुमार, नंदू शर्मा, उमेश शर्मा, प्रिंस, बिट्टू, राहुल आदि का कहना था कि गांव के होनहार युवा के शहीद होने का दु:ख तो है लेकिन उनकी अंतिम यात्रा की राहें सुगम बनाना भी बड़े सौभाग्य की बात गांव में नहीं है।

मकर संक्रांति का पर्व दुमही गांव में बेहद सन्नाटे में गुजर गया। इस गांव के रामचंद्र राय, जितेंद्र गुप्ता, सतेंद्र शुक्ल, झुन्नू बाबा आदि ने बताया कि वे लोग शहीद और अपने गांव के लाल के अंतिम दर्शन का इंतजार कर रहे हैं। अधिकांश घरों में मंगलवार शाम से ही चूल्हा नहीं जला है।

कश्मीर के बेहद खराब मौसम में देश की हिफाजत के लिए शहीद हुए चंद्रभान चौराशिया की पत्नी पिंकी अपने दो अबोध मासूमों के साथ बिलख रही है लेकिन वह अपने बच्चों केे भी देश की सेवा के लिए तैयार करने का संकल्प जता रही है। सांत्वना देने वाली महिलाओं का कहना था कि पिंकी अपने दोनों बच्चों को भी पढ़ा लिखाकर सैनिक बनाने की बात कह रही है।