नई दिल्ली। पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता एमसी मैरीकॉम को भरोसा है कि इस साल नवंबर में भारत की मेजबानी में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में वह एक बार फिर पदक जीतने में कामयाब होंगी।
मैरीकॉम ने इस साल गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और इससे पहले 2017 में एशियाई महिला चैंपियनशिप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। मैरीकॉम 2014 के एशियाई खेलों की स्वर्ण विजेता हैं लेकिन अगले महीने जकार्ता में होने जा रहे एशियाई खेलों में वह हिस्सा नहीं ले रही हैं।
‘मैग्नीफिसेंट मैरी’ के नाम से मशहूर मैरीकॉम ने बुधवार को यहां कहा कि मैं लंबे समय बाद विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लूंगी। मैंने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी है और विश्व चैंपियनशिप को अपना टारगेट बनाया है। हम इस चैंपियनशिप की मेजबानी कर रहे हैं और मैं उम्मीद करती हूं कि इसमें देश को गौरव प्रदान करूंगी।
मैरीकॉम मौजूदा समय में 48 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेती हैं और राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक भी उन्होंने इसी वर्ग में जीता था। एशियाई खेलों में 48 किग्रा वर्ग नहीं है इसलिए मैरीकॉम ने इन खेलों से हटने का फैसला किया ताकि वह विश्व चैंपियनशिप पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें जहां 48 किग्रा वर्ग है।
महिला मुक्केबाज़ ने 2001 की विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक, 2002, 2005, 2006, 2008 और 2010 में स्वर्ण पदक जीते थे। लेकिन इसके बाद उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया। मैरी ने 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
उन्होंने कहा कि मैंने कई साल विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया लेकिन मैं फिर इसमें वापसी कर रही हूं और अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद करती हूं। मैरीकॉम के निशाने पर 2020 के लंदन ओलंपिक भी हैं और वह इन खेलों में देश के लिये स्वर्ण जीतने की इच्छा अब भी रखती हैं।
विश्व चैंपियनशिप में पांच बार स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद मैरीकॉम यह मानती हैं कि उन्हें असली पहचान ओलंपिक में पदक जीतने पर मिली थी। उन्होंने कहा कि मैंने पांच बार विश्व खिताब जीते लेकिन मुझे उतनी पहचान नहीं मिली जितनी पहचान लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद मिली।