सिरसा। हरियाणा के सिरसा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह के पैरोल का पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने विरोध किया है और कहा कि यदि राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण डेरा प्रमुख को पैरोल मिली तो वे इसे हरियाणा-पंजाब उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।
अंशुल छत्रपति ने कहा कि डेरा प्रमुख सामान्य अपराधी नहीं है, वह साध्वियों से बलात्कार और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में सजायाफ्ता है। उसके खिलाफ सीबीआई कोर्ट में दो मामले लंबित है।
25 अगस्त 2017 को सीबीआई कोर्ट ने जब डेरा प्रमुख को दोषी करार दिया था तो डेरा अनुयायियों ने हरियाणा व पंजाब को जलाने का काम किया था। उस हिंसा में 38 लोग मारे गये थे व दो सौ से ज्यादा घायल हुए थे।
डेरा अनुयाइयों के मचाए गए उत्पात में डेरा कमेटी के लोग नामजद किए गए थे, जिनमें से कई अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। ऐसे में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह बहाने बनाकर पैरोल मांग रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे सजायाफ्ता गंभीर अपराधी को जरा भी ढील नहीं देनी चाहिए।
अंशुल ने कहा कि सैंकड़ों साधुओं को बरगलाकर नपुंसक बनाने सरीखे संगीन मामले माननीय न्यायलय में विचाराधीन है अगर ऐसे में डेरा प्रमुख को पैरोल मिली तो इन केसों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। अंशुल ने यह भी कहा कि डेरा प्रमुख के पैरोल पर बाहर आने से उनकी (अंशुल की) जान काे खतरा हो सकता है।
स्वराज इंडिया ने किया डेरा प्रमुख को पैरोल का विरोध
स्वराज इंडिया ने साध्वी यौन शोषण तथा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या में दोषी पाए गए सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को पैरोल पर रिहा करने का विरोध करते हुए इस मुद्दे पर सिरसा उपायुक्त को ज्ञापन दिया है और राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है।
स्वराज इंडिया के प्रवक्ता राजीव गोदारा की तरफ से जारी बयान में गुरमीत सिंह को पैरोल देने की कोशिश को अनैतिक, गैर कानूनी और जनहित विरोधी करार दिया है और आरोप लगाया है कि असली कारण चुनावी सौदेबाजी है। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर फिर भी सरकार ने पैरोल दिया तो स्वराज इंडिया इसके विरुद्ध कोर्ट जाएगी।
उन्होंने कहा कि चार कारणों से डेरा प्रमुख पैरोल का हकदार नहीं है। इनमें हरियाणा के 2012 के कानून के अनुसार लगातार दो संगीन मामलों में सजा के आधार पर डेरा प्रमुख का ‘हार्ड कोर‘ कैदी की श्रेणी में आना, अगस्त 2017 में साध्वी यौन शोषण प्रकरण में सीबीआई अदालत के दोषी करार दिए जाने के फैसले के समय डेरा समर्थकों की हरियाणा व पंजाब में हिंसा को देखते हुए डेरा प्रमुख काे पैरोल मिलने से शांति भंग होने की आशंका, पत्रकार की हत्या में आये फैसले को केवल छह महीने होना और डेरा प्रमुख के मालिकानाहक वाली कृषि योग्य भूमि व बीते सालों में उसके खेती करने का कोई सबूत न होना शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने भी कल इसके विरोध में ट्वीट किया था और कहा था कि इस सवाल पर सरकार ना बोले, विपक्ष तो मुंह खोले। स्वराज इंडिया ने आरोप लगाया है कि मनोहर लाल खट्टर सरकार सत्ता की लालसा में फिर से प्रदेश में सामाजिक शांति व कानून व्यवस्था का बलिदान करने की तैयारी कर रही है।
स्वराज इंडिया के महासचिव दीपक लांबा के अनुसार उनके कार्यकर्ता आज सिरसा डीसी से मिले और कल राज्यपाल से मिलकर अपील करना चाहते हैं कि हरियाणा की शांति व कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिये तुरन्त सरकार को निर्देश दे कि डेरा प्रमुख की पैरोल की दरखास्त रद्द करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए पत्र लिख समय की मांग की गई है।