नई दिल्ली। बीसीसीआई अधिकारी राहुल जौहरी के खिलाफ लगे शारीरिक उत्पीड़न के आरोप साबित नहीं होने के बाद उनके बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर जल्द लौटने की संभावना है, हालांकि सीओए सदस्य डायना इडुलजी अब भी जौहरी के इस्तीफे की मांग कर रही हैं।
तीन सप्ताह से छुट्टी पर चल रहे जौहरी को स्वतंत्र जांच समिति ने शारीरिक उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया है। हालांकि बीसीसीआई का संचालन कर रही प्रशासकों की समिति अब भी जौहरी को लेकर बंटा हुआ है और पूर्व महिला भारतीय टीम की कप्तान एवं सीअोए सदस्य इडुलजी उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई हैं।
सीओए के इस मामले पर एकमत नहीं होने के कारण जौहरी हालांकि बतौर सीईओ बीसीसीआई में वापसी को तैयार हैं। क्रिकइंफो के अनुसार जौहरी ने सीओए को दोबारा काम पर लौटने के संबंध में पत्र भी भेज दिया है।
इससे पहले जौहरी पर लगे आरोपों की जांच कर रही तीन सदस्यीय समिति के सदस्यों इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश राकेश शर्मा, दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख बरखा सिंह और महिला अधिकारों की कार्यकर्ता एवं वकील वीना गौड़ा ने सर्वसम्मति से जौहरी पर लगे आरोपों को बेबुनियाद और निराधार बताते हुए उन्हें निर्दाेष ठहराया था।
हालांकि गौड़ा ने एक आरोप का जिक्र करते हुए बताया कि जौहरी के खिलाफ एक मामला बर्मिंघम में घटित हुआ था जिसमें उनका व्यवहार बेहद आपत्तिजनक और गैर पेशेवर रहा था और यह उनकी बीसीसीआई में उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है और जौहरी को अपने व्यवहार में बदलाव के लिए काउंसलिंग की जरूरत है।
सीओए के दो सदस्य विनोद राय और इडुलजी हालांकि जौहरी पर बंटे हुए हैं। राय ने जांच समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जौहरी को बीसीसीआई में लौटने का समर्थन किया है लेकिन इडुलजी ने जौहरी के इस्तीफे की मांग को बरकरार रखा है।
इडुलजी ने कहा कि जांचकर्ता सदस्य गौडा मानती हैं कि जौहरी को अपने व्यवहार में सुधार के लिये काउंसलिंग की जरूरत है ऐसे में उन्हें अपने पद पर बने नहीं रहना चाहिए।