नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने मी टू अभियान के तहत उन पर लगाए गए यौन दुर्व्यवहार के सभी आरोपों को झूठे और बेबुनियाद बताते हुए रविवार को कहा कि वह जल्द ही इस बारे में कानूनी कार्रवाई करेंगे।
अकबर ने अफ्रीका की यात्रा से लौटने के बाद जारी बयान में सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि प्रमाण के बिना आरोप लगाने का सिलसिला तेज़ी से चल रहा है। उन पर जो भी आरोप लगाये गये हैं उस पर उनके वकील कानूनी कार्रवाई के बारे में निर्णय करेंगे।
उन्होंने मी टू अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा कि आम चुनाव के कुछ महीने पहले ये तूफान क्यों खड़ा किया गया है? क्या कोई एजेंडा है? आप इसका निर्णय कीजिए।’ उन्होंने कहा कि इन झूठे, बेबुनियाद और बेकार के आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा और साख को अपूर्णीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती है। झूठ के पैर नहीं होते पर उसमें जहर ज़रूर होता है जो उन्मादी तूफान खड़ा कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस विवाद से वह बहुत आहत हुए हैं।
अकबर ने कहा कि साक्ष्य के बिना आरोप कुछ वर्गों के लिए एक वायरल बुखार बन गया है। उन्होंने कहा कि वह आधिकारिक दौरे पर विदेश गए हुए थे इसलिए पहले वह आरोपाें का जवाब नहीं दे सके।
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि पत्रकार प्रिया रमानी ने यह कैंपेन एक साल पहले एक पत्रिका में लेख के माध्यम से शुरू किया था। रमानी ने मेरा नाम नहीं लिया था क्योंकि वो जानती थीं कि उनकी कहानी गलत है। हाल में जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने नाम क्यों नहीं लिया तब उन्होंने ट्वीट में लिखा नाम कभी नहीं लिया क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं किया।
अकबर के अनुसार शुमा राहा ने कहा है कि वह स्पष्ट करना चाहती हैं कि उन्होंने कुछ नहीं किया। एक अन्य महिला अंजू भारती ने बेतुका आरोप लगाते हुए दावा किया कि वह स्वीमिंग पूल में पार्टी कर रहे थे जबकि उन्हें तैरना नहीं आता।
विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि गजाला वहाब ने मेरी छवि खराब करने के लिए गलत और आधारहीन आरोप लगाए हैं। वहाब ने दावा किया है कि उन्होंने 21 साल पहले कार्यालय में उनका यौन शोषण किया। एशियन एज के दफ्तर में उन्होंने वहाब के साथ काम किया था जिसमें संपादकीय टीम एक छोटे से हॉल में काम करती थी। उस समय उनका एक छोटा सा क्यूबिकल था जो प्लाईवुड और शीशे की दीवार से घिरा था। इस पर विश्वास करना अजीब है कि इतने छोटे जगह पर कुछ हो और किसी को पता भी न चले।
अकबर ने कहा कि आरोपों के बावजूद भी रमानी और वहाब उनके साथ काम करती रहीं इससे स्पष्ट होता है कि उन्हें कोई डर और असुविधा नहीं थी। इतने सालों तक इनके खामोश रहने की वजह साफ है ।
अकबर पर पहला आरोप वरिष्ठ वत्रकार प्रिया रमानी ने लगाया था जिसमें उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी। इसके बाद कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे।