महंत महेश्वर दास ने कहा कि परिवार, धन, सम्पदा, मोह-माया आदि का त्याग कर ही जो व्यक्ति संत बनता है उसके लिए यह सब बेकार हैं। प्रलोभन के तहत अगर यह कार्य किया गया है तो निश्चित रूप से ही अहितकर है।
अखिल भारतीय धर्माचार्यमंच के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी कुशिमुनी ने कहा कि प्रलोभन देकर अपना बचाव करने और प्रलोभन लेकर संत और मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया ने इतिहास और धर्म को कलंकित करने का कार्य किया है, इसकी जितनी भी निंदा की जाशे कम है।
गौरतलब है कि कुछ संतो ने कंप्यूटर बाबा नाम के संत के नेतृत्व में हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से निकाली गयी नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने की चेतावनी देते हुए अप्रैल माह के पहले पखवाड़े में ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा‘ निकालने की घोषणा की थी।
इसके बाद राज्य सरकार की ओर से नर्मदा नदी संरक्षण के सिलसिले में गठित विशेष समिति में नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और योगेंद्र महंत को शामिल कर राज्य मंत्री का दर्जा प्रदान किया है।