महाराष्ट्र में सियासी हालात हर दिन बदल रहे हैं। शनिवार को मुंबई में सियासी गलियारे में सुस्ती देखी गई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने की ओर बढ़ रहे शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस शाम होते होते एक राय भी नहीं बन पाई। पहले तो शनिवार सुबह एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के बयान के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि तीनों दल शाम को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेंगे और सरकार के गठन को लेकर चर्चा करेंगे।
लेकिन तीनों दलों की होने वाली राज्यपाल से मुलाकात भी टल गई है। अब फिर एक बार महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर अटकलें लगने लगी हैं। तीनों दलों के नेता आज शाम चार बजे राज्यपाल से मिलने वाले थे। दूसरी ओर तीनों दलों का कहना था कि राज्यपाल के साथ बैठक वर्षा प्रभावित किसानों के लिए तत्काल सहायता मांगने के लिए होने वाली है, न कि सरकार गठन को लेकर।
बता दें कि शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस अलग-अलग विचारधारा होने के बावजूद सरकार गठन की कोशिश में जुटी है। अगली सरकार को लेकर शुक्रवार को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा था कि तीन दलों की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी और विकासोन्मुखी शासन देगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन की अगुवाई शिवसेना करेगी।
मध्यावधि चुनाव कोई दल नहीं चाहता है
भारतीय जनता पार्टी हो या शिवसेना चाहे एनसीपी-कांग्रेस कोई भी दल महाराष्ट्र में मध्य और चुनाव नहीं चाहता है। लेकिन वहां पिछले 20 दिनों से कोई भारतीय सरकार भी नहीं बना पा रही है। शरद पवार ने पवार ने नागपुर में पत्रकारों से कहा कि मध्यावधि चुनाव की कोई आशंका नहीं है। यह सरकार बनेगी और पूरे पांच साल चलेगी।
हम सभी यही आश्वस्त करना चाहेंगे कि यह सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। साथी पवार नहीं अभी क्या आरती अभी सरकार बनाने में कुछ समय लगेगा। पवार के सहयोगी और एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने मुंबई में कहा कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास रहेगा।
मलिक ने कहा ‘‘मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा। मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही उसने महायुति को छोड़ा है। उनकी भावनाओं का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा प्रयोग हो रहा है जब अलग अलग विचारधारा के ये दल सरकार बना रहे हैं जिसका नेतृत्व शिवसेना करेगी।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार