शिलांग। मेघालय के मतदाताओं ने विधानसभा चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट जनादेश न देकर सरकार बनवाने की कुंजी छोटे दलों के हाथों में सौप दी है, साठ सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के लिए चुनाव हुए थे और पिछले दस साल से राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस 21 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप मे उभरी है लेकिन वह स्पष्ट बहुमत के जादुई आकड़े से नौ सीट पीछे रह गई है।
त्रिशंकु विधानसभा की इस स्थिति में उसे छोटे दलों को साथ लाना पड़ेगा जिसमें उसे सतर्कता भी बरतनी पड़ेगी। पिछले साल गोवा और मणिपुर में भी कांग्रेस सबसे बड़े दल के रुप में उभरी थी पर भारतीय जनता पार्टी ने तेजी दिखाते हुए छोटे दलों को अपने साथ ले लिया और सरकार बना ली और कांग्रेस देखती रह गई। कांग्रेस यदि छोटे दलों को यहां साथ नहीं ले पाई तो उसके हाथ से एक और राज्य खिसक जाएगा।
नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) 19 सीटों के साथ दूसरे सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। राज्य में चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोकने के बावजूद भाजपा को केवल दो सीटें मिली है। इस चुनाव में भाजपा और एनपीपी एक दूसरे के खिलाफ थे जबकि केन्द्र और मणिपुर में दोनों गठबंधन में हैं। यह देखते हुए मेघालय में भी दानों अब साथ आ सकती हैं।
युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी)की झोली में छह सीटें गईं है तथा चार सीटें पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को मिली हैं। हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) ने दो सीटें जीती है जबकि एक एक सीट पर खुन हाईन्यूट्रेप नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट(केएचएनएएम) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सफल रहे हैं । तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों की झोली में गई हैं। मुख्यमंत्री मुकुल संगमा दोनों विधानसभा सीटों -अम्बति तथा सांग्सोक से विजयी रहे हैं।