सबगुरु न्यूज़-सिरोही। माउंट आबू में बिल्डिंग बाईलोज लागू हो जाने के बाद भी छोटी मरम्मतों के लिए निर्माण सामग्री लाने के लिए उपखण्ड अधिकारी कार्यालय से टोकन लेने की व्यवस्था से मुक्त नहीं हुए हैं। इसे लेकर सोमवार को माउंट आबू संघर्ष समिति के प्रतिनिधि ज़िला कलेक्टर से मिले।
उन्होंने कलेक्टर से बाईलोज़ को में पलस्टर, रंगाई पूताई आदि लिए टोकन व्यवस्था समाप्त करने के लिए जिला कलेक्टर को संभागीय आयुक्त के नाम से ज्ञापन दिया।
टोकन प्रणाली से आखिर क्या समस्या?
माउंट आबू संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कलेक्टर को जो जानकारी दी उसके अनुसार माउंट आबू में उपखण्ड कार्यालय से जारी होने वाले टोकन की प्रणाली ही अव्यवस्था और अनियमितता भरी है। उपखण्ड कार्यालय में इसके लिए नगर परिषद से एक कार्मिक लगाया गया है जो, टोकन व्यवस्था सम्भालता है।
उनका आरोप है कि टोकन सिर्फ़ सोमवार को जारी होते हैं। इसमें भी अधिकारी बैठे हुए हों तो ठीक वर्ना उनकी या कार्मिक की अनुपस्थित रही तो इसमें एक पखवाड़े समय भी लग सकता है। प्रतिनिधियों ने बताया कि टोकन जारी करने अनियमितता की शिकायतें पहले भी आ चुकी हैं, जिससे इन प्रतिनिधियों उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में तैनात कार्मिक को वहाँ हटाने की माँग भी की हुई है।
प्रतिनिधियों अनुसार टोकन नियमित रूप नहीं मिलने और इसमें अनियमितता के कारण भी स्थानीय लोगों को समस्या रही है।
ख़ुद कलेक्टर ने ही लगा दिए सवालिया निशान?
प्रतिनिधियों ने जि़ला कलेक्टर से टोकन व्यवस्था बंद करने की बात कही तो उन्होंने कहा कि माउंट आबू में बहुत अवैध निर्माण हैं। ऐसे में ख़ुद जिला कलेक्टर भी माउण्ट आबू में लम्बे अर्से से अवैध निर्माणों को लेकर मॉनीटरिंग की कमी की ओर इशारा करते नजर आए। सवाल ये है कि जब 2014 में हुई मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में ही जब टोकन प्रणाली लागू करके नाकों पर सीसीटीवी केमेरे लगाने की बात हुई थी तो अब तक केमेरों से मॉनिटरिंग शुरू क्यों नहीं हुई? जब टोकन जारी करने और मॉनिटरिंग करने काम नियंत्रित हैं तो फिर अवैध निर्माण हो कैसे रहे हैं?
पुराने ट्यूबवैल्स की फ्लशिंग की भी मांग
संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने माउण्ट आबू में पुराने खुदे हुए नलकूपों और ट्यूबवैलों की फ्लशिंग की भी अनुमति देने की मांग की। इस संदर्भ में दिए ज्ञापन में आधा दर्जन ऐसी साइट भी बताई जहां पर हैण्डपम्प स्वीकृत होने के बाद भी हैंडपम्प नहीं खुद पाने की जानकारी दी।