नयी दिल्ली । राज्यसभा में अब सदस्य डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी भाषा में भी अपनी बात रख सकेंगे। इसके साथ ही सदन में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में अनुवाद की व्यवस्था शुरू हो गयी है।
अब तक सदस्य केवल 17 भाषाओं में ही अपने बात रख सकते थे। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को सदन में कहा कि राज्यसभा सचिवालय ने डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी भाषा में भी अनुवाद की व्यवस्था की है। इसके साथ ही सदस्य अब सभी 22 भाषाओं में अपनी बात रख सकेंगे।
उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे अपनी भाषाओं में बात रख सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें पहले से सूचना देनी होगी। विशेष रूप से इन पांचों नयी भाषाओं में बोलने वाले सदस्यों को पूर्व जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं के लिए द्विभाषियों की व्यवस्था लोकसभा से और बाहर से अनुबंध के आधार पर की गयी है। इन लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, लेकिन अभी इन्हें शब्दावली को समझने में कुछ समय लग सकता है।
सदस्यों ने मेजें थपथपा कर नयी व्यवस्था का स्वागत किया। भाजपा के सुब्रमण्यम् स्वामी ने कहा कि वह इसका स्वागत करते हैं, लेकिन उनका सुझाव है कि सदस्य संस्कृतनिष्ठ शब्दों का अधिक इस्तेमाल करें जिससे पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने में मदद मिलेगी। कुछ सदस्यों ने उनकी बात पर एतराज जताया तो श्री नायडू ने कहा कि श्री स्वामी का यह सुझाव भर है और इसकी कोई बाध्यता नहीं है।