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सस्ती लोकप्रियता के लिए कोरोना वॉलेंटियर्स पर निशाना तो नहीं साध रहे विज्ञप्तिवीर!

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सस्ती लोकप्रियता के लिए कोरोना वॉलेंटियर्स पर निशाना तो नहीं साध रहे विज्ञप्तिवीर!
सिरोही के कोविड अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर्स में स्थानीय व्यापारियों द्वारा दी जा रही भोजन सेवा।
सिरोही के कोविड अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर्स में स्थानीय व्यापारियों द्वारा दी जा रही भोजन सेवा।
सिरोही के कोविड अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर्स में स्थानीय व्यापारियों द्वारा दी जा रही भोजन सेवा।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। नेता जब फिल्डवर्कर की जगह विज्ञप्तिवीर बन जाएं तो प्रतिद्वंद्वी से ज्यादा अपनी पार्टी को कठघरे में खड़ा कर देते हैं। नेता विज्ञप्तिवीर तभी बनता है जब उसे अपनी ही पार्टी में अपना अस्तित्व बचाने के लिए विपरीत परिस्थिति में खुदको तारना हो।

तारने की ये ख्वाहिश तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब पार्टी सत्ताच्युत कर दी गई हो। खुदको तारने की इसी ख्वाहिश में सिरोही के एकनेता अपने प्रतिद्वंद्वी पर निशाना साधने के चक्कर मे सिरोही शहर और देश विदेश में बसे यहां के प्रवासियों पर निशाना साध गए।

हुआ यूं कि कोरोना के दौरान कई विज्ञप्तिवीर नेता जी अपने राजनीतिक करियर को बचाने के लिए इधर उधर घूमकर निरीक्षण करते नजर आये। ये कभी दानवीर की तरह एकाध खाने का पैकेट हाथ में लेकर फ़ोटो खिंचवाते दिखे तो कभी ज्ञापनों के माध्यम से हर सुबह अखबारों में एक कॉलम की खबर में नाम देखने के लिए सरकारी कार्यालयों में हाजिरी लगाते नजर आए।

ज्ञापनों और विज्ञप्तियों की इस श्रृंखला में नेताजी ने खुदको अपनी पार्टी के नेताओं से ज्यादा सक्रीय और उच्चतर दिखाने के चक्कर में विज्ञप्ति जारी कर दी कि सिरोही के आइसोलेशन सेंटर में खाने की व्यवथा सही नहीं है। सिरोही में कोविड पॉजिटिव आईसोलेशन सेंटर में खाने की पूरी व्यवस्था सिरोही शहर के स्थानीय व्यापारियों और प्रवासियों ने संभाली हुई है।

इन लोगों ने सिरोही कोविड सेवा समिति बनाकर कोविड पॉजिटिव लोगों के खाने की जिम्मेदारी उठाई है। जो लोग इस व्यवस्था को संभाले हुए हैं उनका रसूख ऐसा कि विज्ञप्तिवीरों का राजनीतिक रसूख भी उनके बिना फीका पड़ जाए। लेकिन, इन व्यापारियों को विज्ञप्तिवीर ने ये सोचकर निशाना साधा कि ये लोग स्थानीय विधायक के आह्वान पर राज्य सरकार का सहयोग कर रहे हैं।
दरअसल, विज्ञप्तिवीर का ये प्रयास सिरोही शहर में आइसोलेशन वार्ड में भर्ती केसेज के भोजन व्यवस्था को दुरुस्त करने की बजाय इस व्यवस्था को हतोत्साहित करने का ज्यादा नजर आया। इस काम को संभाले लोगों में एक पल को निराशा भी आई, लेकिन इसे प्रौढ़ता में किये गए बचपना मनाकर नजरअंदाज करके वे लोग बिना किसी प्रतिक्रिया के अगले दिन की भोजन व्यवस्था में जुट गए।
-इस तरह संचालित हो रही है भोजन व्यवस्था
सिरोही जिले का कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल सिरोही शहर में हैं। जिला चिकित्सालय और गोयली रॉड स्थित दो छात्रावासों में इनके आइसोलेशन की व्यवस्था की हुई है। करीब एक महीने पहले स्थानीय विधायक के आह्वान पर सिरोही के स्थानीय और प्रवासी लोगों ने पीड़ित मानवता की सेवा के लिए आइसोलेशन वार्ड में आने वाले लोगों को बेहतर खाना उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सिरोही कोविड सेवा समिति बनाई।

इसमे सिरोही समेत राज्य और देश से बाहर प्रवासियों के सहयोग से करीब 10 दर्जन से ज्यादा लोगों ने इनके खाने का जिम्मा उठा लिया, जिसमे विज्ञप्तिवीर नेताओं का चवन्नी का भी सहयोग नहीं हैं। व्यवस्था सुचारू चले उसके लिये 12 गणमान्य और युवा व्यापारियों की देखरेख में ये काम शुरू किया गया।
-यूँ होती है व्यवस्था
कोविड सेंटर में दिन की शुरुआत चाय नाश्ते से होती है। दोपहर को खाना, शाम को चाय और रात को करीब साढ़े सात बजे फिर भोजन जाता है। भोजन में चपाती, चावल, दाल, सब्जी, आचार और गुड़ दिया जा रहा है। सोने से पहले इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हल्दीयुक्त गाय का दूध वितरित किया जाता है। हर रात को अगले दिन बनाये जाने वाले भोजन पैकेट की संख्या सिरोही कोविड सेवा समिति के पास पहुंच जाती है।

उनके द्वारा तैयार चाय, नाश्ता और भोजन पैकेट उपखण्ड कार्यालय के वाहन में गंतव्य स्थानों पर भेज दिया जाता है। भोजन की इस पूरी प्रक्रिया में प्रशासन का सहयोग सिर्फ संख्या बताने और भोजन के ट्रांसपोर्टेशन के अलावा कुछ नहीं होता और जब प्रशासन का भोजन बनाने में कोई योगदान नहीं है ।

सस्ती लोकप्रियता के लिए खाने पर निशाना साधना सरकार की बजाय सिरोही के व्यापारियों और प्रवासियों को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश ज्यादा है। यही कारण है कि सत्ता में रहे या बाहर जयपुर और दिल्ली के नेता इस तरह के नेताओं द्वारा प्रौढ़ावस्था में बचकानी हरकतों के कारण नजरअंदाज ज्यादा करते हैं।