नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर सोशल मीडिया पर चल रहे ‘मी टू’ अभियान में महिला पत्रकारों के यौन दुर्व्यवहार के आरोपों से मुश्किल में फंस गए हैं और अब सरकार अौर भारतीय जनता पार्टी उनका पक्ष जानने के बाद उनके भविष्य का फैसला लेगी।
अकबर नाईजीरिया की सरकारी यात्रा पर हैं और उन्हें बीच में ही यात्रा लौटने को कहा गया है। विदेश राज्य मंत्री के गुरुवार देर रात या शुक्रवार तड़के स्वदेश लौटने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि अकबर से ‘मी टू’ अभियान में विभिन्न महिला पत्रकारों द्वारा लगाए गए आरोपों पर सफाई मांगी जाएगी और आगे का निर्णय उनके स्पष्टीकरण के आधार पर लिया जाएगा। सूत्रों ने अकबर के इस्तीफे की संभावना से इन्कार नहीं किया है।
राजनीति में आने से पहले पत्रकार रहे अकबर पर नौ महिलाओं ने कार्यस्थल पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। इसके बाद से सरकार और पार्टी पर अकबर के बारे में रुख साफ करने का दबाव है तथा अकबर पर पद से इस्तीफा देने का भी दबाव लगातार बढ़ रहा है। भाजपा के प्रवक्ता और सरकार के मंत्री लगातार इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों से बचने का प्रयास कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय में मंगलवार को ‘इंडिया फॉर ह्यूमेनिटी’ पहल का शुभांरभ किए जाने के मौके पर कार्यक्रम समाप्त होने के बाद संवाददाताओं ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से जब अकबर के बारे में प्रतिक्रिया मांगी तो स्वराज बिना कुछ कहे चलीं गईं।
इसके अलावा मी टू अभियान का समर्थन करने वालीं महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती, सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सहित कई मंत्री भी मीडिया के सवालों पर चुप्पी साधे रखे। भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा और मीनाक्षी लेखी ने भी इन सवालों को अनदेखा कर दिया।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार यह मामला अकबर के मंत्री के रूप में व्यवहार से जुड़ा नहीं है और ना ही इसका मंत्रालय से कोई लेना देना है। चूंकि यह मामला पूरी तरह से व्यक्तिगत है इसलिए सबको लगता है कि इस बारे में अकबर ही कुछ बोल सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि अकबर का बयान आने के बाद ही विदेश मंत्री कुछ बोल सकतीं हैं।
अकबर पर नौ महिला पत्रकारों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। अकबर एशियन एज, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस आदि कई अखबारों एवं पत्रिकाओं में संपादक रह चुके हैं।