हैदराबाद। तेलंगाना में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ की रोकथाम के लिए लाॅकडाउन की अवधि 30 अप्रेल तक बढ़ाए जाने के बावजूद बुधवार को बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश भेजने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए।
मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने संकट की स्थिति से निपटने के लिए पिछले महीने हर प्रवासी मजदूर को 12 किलोग्राम चावल मुफ्त और 500 रुपए नकद देने की घोषणा की। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार आपको (प्रवासी कामगारों को) राज्य की विकास प्रक्रिया में भागीदार मानती है और आपके प्रवास को सुविधाजनक बनाने के लिए कोई भी राशि खर्च करने को तैयार है। आपको चिंता करने और संकट की इस घड़ी में अपने घर लौटने के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है।
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले स्थित अपने गृह नगर वापस जाने के लिए कुछ प्रवासियों ने सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करने जैसे कुछ उपायों को भी अपनाने का प्रयास किया। हबीसिगफुडा और उप्पल के बीच पुलिस ने महिलाओं, युवाओं और बच्चों सहित 100 से अधिक ऐसे कामगारों को रोका जो पैदल ही अपने गृह नगर की ओर चल पड़े थे।
पुलिस और जीएचएमसी के अधिकारियों ने उन्हें भोजन और आश्रय का आश्वासन दिया लेकिन श्रमिक चाहते थे कि अधिकारी उनके लिए परिवहन की व्यवस्था करें या उन्हें पैदल ही गृहनगर जाने की अनुमति दी जाए।
राज्य के पशुपालन मंत्री तलासरी श्रीनिवास यादव और उप्पल के विधायक बी.सुभाष रेड्डी द्वारा उनकी देखभाल करने का आश्वासन देने के बाद मैरेडपल्ली में रहने वाले प्रवासियों को वाहनों में उनके किरायेे के घरों में वापस भेज दिया गया।
प्रवासियों ने बताया कि उनके पूरे पैसे पिछले 21 दिन से जारी लॉकडाउन के दौरान खर्च हो गए।
तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों ने एक विज्ञप्ति जारी कर सार्वजनिक रूप से बस स्टेशनों पर इकट्ठा होने से परहेज करने का अनुरोध किया और कहा कि निगम तब तक बसों का संचालन नहीं करेगा जब तक कि लॉकडाउन को हटा नहीं दिया जाता।
निगम के प्रबंध निदेशक सुनील शर्मा ने कहा कि तेलंगाना में टीएसआरटीसी बसें 30 अप्रेल तक नहीं चलेंगी। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सरकार से मंजूरी मिले बगैर कोई भी सिटी बस, जिला या अंतर-राज्यीय बसें संचालित नहीं होंगी।