अजमेर। राजस्थान में वैश्विक महामारी कोरोना के चलते अजमेर में स्थित सूफी संत मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में चांद दिखाई देने पर बीस अगस्त से शुरू होने वाले मिनी उर्स पर जायरीनों की कमी से रौनक फीकी रहेगी।
इस अवसर पर कोरोना के कारण हर साल इकट्ठे होने वाले लाखों जायरीन नहीं आ सकेंगे। 19 अगस्त को चांदरात होने से अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह एवं तारागढ़ स्थित दरगाह हजरत मीरां साहब पर मोहर्रम के मौके पर हजरत इमाम हुसैन की चौकी धोने की रस्म अदा की जाएगी जिसके साथ ही मोहर्रम का आगाज तो होगा ही अजमेर शरीफ में मिनी उर्स का भी आगाज होगा।
कोरोना के कारण धर्मस्थल नहीं खोलने की गाइडलाइन, सामान्य रेलों का संचालन सितंबर तक रोकने तथा भीड़ को एक जगह इकट्ठा नहीं होने देने के चलते अजमेर शरीफ में मिनी उर्स पर भी अकीदतमंदों की आवक नहीं हो सकेगी।
हालांकि दरगाह कमेटी और दोनों अंजुमनों ने आपसी सहमति के साथ प्रशासन को संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन का पालन करने का भरोसा दिलाया है और व्यवस्था संबंधी प्रारुप तैयार किया गया है जिस पर 13 अगस्त को जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित की अध्यक्षता में होने जा रही बैठक में निर्णय संभावित है।
लेकिन अजमेर शहर में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बात की संभावना कम ही है कि जिला प्रशासन मोहर्रम की रस्मों में भीड़ को इजाजत दे। पासधारक खादिमों द्वारा दरगाह में चलाई जा रही धार्मिक रस्मों को निभाया जा रहा है।