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Minor raped in Jhansi - Sabguru News
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महीनों तक हवस का शिकार बनी किशोरी, पेट में ढाई माह का गर्भ

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महीनों तक हवस का शिकार बनी किशोरी, पेट में ढाई माह का गर्भ
Dalit teenager gangraped in Etah district of Uttar Pradesh

झांसी। यूपी में झांसी जिले के बबीना थानाक्षेत्र में एक नाबालिग को महीनों तक अपनी हवस का शिकार बनाने वाले हैवानों को भले ही उनकी सही जगह जेल भेज दिया गया हो लेकिन गर्भ धारण के दो से ढाई महीने बीत जाने के चलते किशोरी का जीवन दांव पर लगा हुआ है।

बबीना थानाक्षेत्र में खजरहा बुर्जुग गांव के कटरा पाटन का यह मामला है जहां रहने वाली अनुसूचित जनजाति परिवार की 14 साल की लड़की के साथ गांव के ही तीन लड़कों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसका वीडियो भी बनाया। इसी वीडियो को इंटरनेट पर डालने और चाचा के साथ उसके भाइयों की हत्या की धमकी देकर यह लड़के कई महीनों तक लड़की के साथ दुष्कर्म करते रहे।

पीड़िता के पिता की मृत्यु पहले ही हो चुकी है और मां बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हैं। पीडिता अपने चाचा के परिवार के साथ ही रहती है और इन्ही की हत्या की धमकी से डरी लड़की ने अकथनीय शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलते हुए चुप्पी साधे रखी।

इस बीच लड़की के लगातार गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए जब परिजनों ने उसकी वजह जाननी चाही तो वह टाल गई, बार बार और काफी जोर देकर पूछने पर पीड़िता ने पूरी बात परिजनों को बताई। जिसके बाद लड़की द्वारा बताई गई बात के आधार पर परिजन मुख्य आरोपी को पकड़कर थाने लाए और पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर पास्को एकट के तहत मामला दर्ज किया।

गैंगरेप मामले की दो आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। आराेपियों में से एक की गिरफ्तारी के बाद भी पीडिता की मुसीबतें नहीं थमी और वह गर्भवती हो गई। परिजनों ने जब उसे डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने जांच के बाद दो से ढाई माह की गर्भवती बताया। जिसके बाद से बच्ची के जीवन को बढते खतरे के बीच परिजन राज्य महिला आयोग की सदस्य डा़ कंचन जयसवाल के समक्ष पूरा मामला ले गए।

जयसवाल ने रविवार को बताया कि उन्होंने मामले में त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए। इस मामले काे देख रहे एएसपी अशोक ने जयसवाल को आश्वस्त किया कि लड़की के जल्द से जल्द गर्भपात के लिए अदालत में मामला शीघ्र पेश किया जाएगा। मामले को अदालत के समक्ष लाया गया और अदालत ने गर्भपात की इजाजत दे दी। गर्भपात की इजाजत तो मिल गई लेकिन दो से ढाई महीने का समय बीत जाने और पीडिता की कम उम्र को देखते हुए गर्भपात के दौरान उसके जीवन को खतरा तो बना ही हुआ है।

जिला महिला अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दो से ढाई महीने के गर्भपात करते समय सामान्य महिला के लिए भी कोई भी दिक्कत कभी भी खड़ी होने की आशंका बनी रहती है और इस मामले में तो पीडिता नाबालिग है ऐसे में खतरा की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने इस गर्भपात के दौरान अस्पताल द्वारा सभी जरूरी एहतियात बरते जाने की बात कही लेकिन कम उम्र में गर्भपात के खतरों की आशंका से भी इनकार नहीं किया।

इस वस्तुस्थिति के बीच पीड़िता के पिछले कई महीनों से झेली जा रही शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का दौरान फिलहाल खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। अभी गर्भपात के दौरान उसके जीवन को खतरा तो बना ही है और अगर सब सही रहता है तो उसके बाद समाज में ऐसी प्रताड़ना झेल चुकी महिलाओं और लड़कियों की स्वीकार्यता को लेकर जो एक नकारात्मक स्थिति रहती है, पीड़िता को उसका भी सामना करना है।

हमारे समाज की एक बड़ी विडंबना है कि 21वीं सदी में भी दुष्कर्म पीड़िता को एक ओर भयानक शारीरिक प्रताड़ना तो झेलनी ही पड़ती है साथ ही समाज भी उसके साथ कोई अच्छा सूलूक नहीं करता और ऐसे में उसे जबरदस्त मानसिक पीड़ा के दौर से गुजरना पड़ता है। हालांकि आज समाज में काफी बदलाव आया है लेकिन गांव देहातों में अब भी इस सोच में कोई खास परिवर्तन नहीं दिखाई देता।