जयपुर। कोरोना वायरस संकट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यों को विरोधी पचा नहीं पा रहे हैं। संघ की छवि खराब करने के लिए संघ विरोधी जमात सोशल मीडिया पर भ्रामक सामग्री वायरल कर रही है। ऐसा ही मामला दक्षिण पूर्वी राजस्थान में सामने आया है। सुबह दस बजे दो लोगों ने इस कटिंग को फेसबुक पर पोस्ट किया, जहां से वाट्सएप ग्रुप में संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत के कथित बयान वाले समाचार की एक कटिंग वायरल की गई है।
वायरल पोस्ट को संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने ट्विट कर फेक बताया। ठाकुर ने ट्विट पर लिखा हैं कि सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत के नाम पर सोशल मीडिया में एक फेक न्यूज चल रही है। सरसंघचालक ने ऐसा कोई व्यक्त्य नहीं दिया है। यह समाज को तोड़ने वाली शक्तियों का अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समाज में अनास्था, अराजकता और समाज विघटन के प्रयास का एक षड़यंत्र है।
राजस्थान में एक महिला ने मंगलवार को बौद्ध मय भारत नामक सोशल मीडिया ग्रुप में आरएएस प्रमुख मोहन भागवत के हवाले से नई दिल्ली में कथित तौर पर प्रकाशित एक समाचार की कटिंग पोस्ट की। ‘कोरोना ने तोड़ी मेरी धर्म में आस्था- मोहन भागवत’ शीर्षक से जारी इस समाचार की कटिंग पोस्ट करते ही कोटा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जुड़े एक कार्यकर्ता ने महिला से संपर्क साधा और उनसे समाचार की कटिंग की सच्चाई के बारे में जानने का प्रयास किया, समाचार की विश्वसनीयता पर संदेह होने लगा।
‘कोरोना ने तोड़ी मेरी धर्म में आस्था : मोहन भागवत’ शीर्षक वाली समाचार कटिंग में सरसंघचालक डॉ. भागवत के वक्तव्य को संदर्भ बनाकर मंदिरों व भगवान के विरूद्ध बातें लिखी गई, इसलिए यह कटिंग पोस्ट होते ही इसका विरोध शुरू हो गया। कोटा के एक स्वयंसेवक से फोन पर बातचीत में महिला ने यह तो स्वीकार किया कि उन्हें यह कटिंग सोशल मीडिया से ही मिली है और समझदारी दिखाते हुए अपने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को इसे फॉरवर्ड कर दिया था।
आडियो में महिला ने बता रही हैं कि मैंने जब पोस्ट पढ़ी तो अच्छी लगी, इसमें मोहन भागवत ने अच्छा लिखा है, मैंने सोचा अच्छी बात है तो मैंने इस पोस्ट को वायरल कर दिया। पोस्ट का प्रमाण मांगने पर महिला निरूत्तर हो जाती है। हालांकि महिला दावा कर रही है उसके पास किसी ग्रुप में यह पोस्ट आई थी। जब महिला से कटिंग वाली पोस्ट के ग्रुप एडमिन के खिलाफ कार्रवाई और मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाने की चेतावनी दी गई तो महिला घबरा गई।
महिला ने ग्रुप एडमिन का नाम तो नहीं बताया, लेकिन अपनी पोस्ट हटाकर डिलीट करने की बात स्वीकार ली। बौद्ध मय भारत नामक सोशल मीडिया ग्रुप में उक्त महिला की ओर से इस समाचार की कटिंग डालने के बाद भी कई यूजर्स ने कमेंट किए और इस समाचार को फेक बताया। इसके बाद आरएएस से जुड़े कार्यकर्ता भी सतर्क हुए और वास्तविकता का पता लगाने के लिए पोस्ट करने वाली महिला से संपर्क साधा गया। समाचार लिखे जाने तक इस पोस्ट के बारे में अधिकृत स्रोत की जानकारी नहीं मिल पाई।