नई दिल्ली। यौन शोषण के आरोपों के चलते विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले एम जे अकबर 1989 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में पहली बार बिहार के किशनगंज से लोकसभा के लिए चुने गए थे अौर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रवक्ता भी रहे थे।
एक समय कांग्रेस के प्रवक्ता रहे अकबर 2002 के दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी जबर्दस्त आलोचक रहे थे लेकिन बाद में वह उसी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
एम जे अकबर 2002 के गुजरात दंगों को लेकर उस समय गुजरात के मुुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी के सबसे बड़े आलोचक थे लेकिन वाद में उन्होंने पाला बदल लिया और मार्च 2014 में भाजपा में शामिल हो गए तथा भाजपा की ओर से राज्य सभा सांसद बनकर राजनीति का सफर तय करते हुए 2016 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में अपनी जगह बना ली।
राहुल गांधी को कि भारतीय राजनीति का बिगडैल बच्चा (स्पाइल्ट चाइल्ड आॅफ इंड़ियन डेमोक्रेसी) करार देकर अपने आपको भारतीय जनता पार्टी की नजराें में काफी उठा लिया था।
दरअसल उस समय कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति हमलावर रूख अपनाए हुए थी और ऐसे में अकबर ने कांग्रेस पर जोरदार प्रहार करते हुए कहा था कि कुछ तो शर्म करो, एक तरफ तो हमारे पास एक एेसे प्रधानमंत्री हैं, एक ऐसा व्यक्ति जो अपनी मां का दुलारा है और दूसरी तरफ(सोनिया गांधी) एक ऐसी माता है जिसके अंधे पुत्र मोह ने पहले ही कांग्रेस पार्टी को नष्ट कर दिया है और अब देश को बर्बाद करने की कोशिश में है।
उनकी चर्चित पुस्तक ब्लड ब्रदर्स में भारत में घटनाओं की जानकारी और दुनिया, खासकर हिंदू-मुस्लिम के बदलते संबंधों के साथ तीन पीढ़ियों की गाथा है। इसी पुस्तक में उन्होंने एक जगह लिखा है कि बंगाल अपनी महिलाओं के जादू के लिए विख्यात हैं। यह भी विडंबना ही है कि एक राजनेता के तौर उनका करियर महिलाओं के आरोपों से प्रभावित हुआ है और मंत्री पद से इस्तीफा देेना पड़ा है।
इन महिलाओं का आरोप है कि जब वह 1909 के दशक में द एशियन एेज के संपादक थे तो उस वक्त उन्होंने उनके साथ दुर्व्यव्हार किया था। उन पर आरोप लगाने वाली महिलाओं की संख्या 20 के आसपास है। विभिन्न पत्रकार संगठनों ने उनके कानूनी नोटिस को जारी करने के दौरान 97 वकीलों की भारी भरकम फौज पर भी तंज कसा था।
उन्होंने कई पुस्तकें लिखी है, जिसमें जवाहर लाल नेहरू की जीवनी द मेकिंग ऑफ इंडिया और कश्मीर पर आधारित द सीज विदिन चर्चित रही है। पाकिस्तान में पहचान के संकट और वर्ग संघर्ष पर आधारित उनकी पुस्तक टिंडरबॉक्स: दि पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान जनवरी 2012 में प्रकाशित हुई है।