सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही नगर परिषद की तरफ से आयोजित सिरोही नगर परिषद क्षेत्र की अंतर वार्ड प्रतियोगिता के फाइनल मैच में वार्ड संख्या 10 कप्तान गोपाल माली की आपत्ति के बाद मैच को काफी देर तक रोकने पर सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने नाराजगी जताई।
करीब आधा घण्टे मैच को रोके रखने के कारण आम दर्शक तथा टीवी और यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग देख रहे दर्शक भी क्षुब्ध होकर अंपायर्स व आयोजन समिति की त्वरित निर्णय लेने की क्षमता की कमी पर दर्शक दीर्घा में नाराजगी व्यक्त करने लगे।
– बॉलर के हाथ घुमाने के तरीके पर आपत्ति
फाइनल मैच रुकने की वजह ये थी कि वार्ड 10 के पार्षद और कप्तान गोपाल माली ने करीब चौथे ओवर में मैदान में आकर अंपायर से ये आपत्ति की कि वार्ड 6 की टीम ने जो नया बॉलर दशरथ लगाया है, बॉल फेंकते सयम उनके हाथ सही तरीके से नहीं घूमते हैं और बॉल चक या थ्रो होती है।
इस वक्त तक उस नए बॉलर ने एक भी बॉल नहीं फेंकी थी। गोपाल माली ने उस बॉलर को बॉल नहीं फेंकने देने की बात कही। एक बारगी तो वो अपने बैट्समैन को बाहर ले जाने लगे। अंपायर के सामने वार्ड 6 की टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी अजित सिंह ने दलील दी कि बेटिंग के दौरान उन्होंने भी अंपायर से वार्ड 10 के कप्तान गोपाल माली और बॉलर अश्विन के बोलिंग के एक्सप्रेशन्स को लेकर आपत्ति की थी। अंपायर ने इसे आपस में सौहार्दपूर्ण खेलने की बात कहकर इस तरह के बोलिंग एक्सप्रेशन को मान्यता होने की बात कही थी। इस पर भी गोपाल माली माने नहीं।
अम्पायर्स के द्वारा निर्णय में देरी करने के कारण लोगों को हो रही परेशानी की वजह से सिरोही डीसीए के सचिव और विधायक संयम लोढ़ा मैदान में गए। उनके हाव भाव स्पष्ट बता रहे थे कि वो इस तरह से मैच के विवाद के तुरन्त निर्णय नहीं होने को लेकर सख्त नाराज थे। सूत्रों के अनुसार उन्होंने अंपायर से वार्ड प्रतियोगिता के निर्धारित नियमो के तहत जो भी मान्य है उसे तुरन्त करने को कहा।
निर्णय पर सहमत नहीं होने वाली टीम को मैदान छोड़ने के विकल्प को अपनाने का विकल्प भी खुला हुआ था। कुछ देर बाद आयोजन समिति के निर्णय के बाद उसी बॉलर के ओवर में साथ फिर से मैच शुरू हो गया। लेकिन, इतनी सी बात के निर्णय में इतनी देरी कर देने से अंपायरों के निर्णय लेने की क्षमता पर आम दर्शक भी अंगुली उठने लगे थे। जिस समय वार्ड 10 ने ये आपत्ति लगाई उस समय तक उनकी टीम के 3 प्रमुख बैट्समेन आउट होकर पैवेलियन लौट चुके थे।
दरअसल, आयोजको की मानें तो ये प्रतियोगिता प्रतिद्वंदता की बजाय मैत्रीपूर्ण तरीके से खेल के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए था। कई कई वार्ड ऐसे थे जहाँ खिलाड़ी भी नहीं मिलते। ऐसे में कई नियमो में इसमें छूट प्रदान की गई थी। उनमें वार्ड पार्षदों की आपत्ति के बाद दूसरे वार्ड के खिलाड़ी को खिलवा सकने और बोलिंग करते हुए हाथ के घुमाने के तरीके के नियम भी आपसी सहमति से शामिल था। महिला टीम के मैच में तो कई बॉलर बिना हाथ घुमाए हुए भी बॉल फेंकती दिखाई दी। क्योंकि प्रतियोगिता का उद्देश्य खेल को प्रोत्साहन था इसलिए ये छूट दी हुई थी।
-नियम क्या है?
<span;>जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारी और वार्ड क्रिकेट प्रतियोगिता की आयोजन समिति के सदस्य राजेन्द्र देवड़ा ने सबगुरु न्यूज को बताया कि नियम ये कहता है कि बॉलर के बोलिंग एक्सप्रेशन में कोई कमी है और इसकी वजह से बॉल तेज आ रही है तो बैट्समैन ही इसकी आपत्ति लेग अंपायर को दर्ज करवाता है। लेग अंपायर बॉलर के एक्सप्रेशन पर नजर रखता है और बोलिंग एक्सप्रेशन सही नही आने पर नो बॉल देता है। बैट्समैन के अलावा कोई भी व्यक्ति ये आपत्ति नहीं दर्ज करवा सकता है। ये तभी होता है जब बॉलर ने ओवर फेंक दिया हो। उसके ओवर शुरू होने से पहले नहीं। बाहर से आई आपत्ति पर सुनवाई होती ही नहीं।
<span;>फाइनल मैच में जो हुआ वो नियमो से कुछ अलग था। इसमें सबसे पहले तो वार्ड 6 के बॉलर दशरथ ने अपना ओवर ही शुरू नहीं किया था। दूसरा आपत्ति लगाने वाले वार्ड संख्या 10 के कप्तान गोपाल माली बेटिंग नहीं कर रहे थे। ऐसे में नियमानुसार बैट्समैन के अलावा बाहर के टीम के किसी भी सदस्य को आपत्ति दर्ज करने का अधिकार ही नहीं होता। ये आपत्ति सिर्फ और सिर्फ वो ही बैट्समेन लगा सकता है जो स्ट्राइक पर बॉलर की कम से कम पहली बॉल तो खेल ही चुका हो। इसलिए आपत्ति को दरकिनार करने और खेलने या बाहर जाने का विकल्प अम्पायर्स के पास सुरक्षित था। जिसे वार्ड डर्स की टीम के सामने रखते ही मैच शुरू हो गया।
-सुबह भी हुआ था विवाद
वार्ड संख्या 10 की टीम के साथ सुबह के सेमीफाइनल में भी एक विवाद हुआ। सुबह वार्ड संख्या 2 के साथ सेमीफाइनल मैच के दौरान वार्ड 10 के एक बैट्समेन ने छक्का लगाने के बाद अपने जूते की एड़ी से थपकी लगाई। इस तरह का इशारा देखकर बाहर से एक दर्शक ने आपत्ति जताई। इसे लेकर कुछ देर विवाद हुआ। विवाद इस बात को लेकर हुआ कि इस कथित दर्शक को ये लगा कि चिढ़ाने के लिए जूते की एड़ी की तरफ इशारा किया। वार्ड 10 के समर्थको का कहना है कि उन जो व्यक्ति बाहर से चिल्लाया था उसने खिलाड़ी के जूते पर कुछ टिप्पणी की थी, उसके बाद उसने ये इशारा किया था।
इसी मैच के दौरान वार्ड 2 के एक बैट्समेन ने भी वार्ड 10 के एक बॉलर के एक्सप्रेशन पर आपत्ति जताई थी। जिसे उसी वार्ड की टीम के खिलाड़ी शचीन्द्र रतनू ने इन चीजों नजरअंदाज करने को कहते हुए खेल को आगे बढ़ाने को कहा।