कोटा। राजस्थान विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके कोटा जिले की पीपल्दा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रामनारायण मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तो खिलाफत नहीं की लेकिन यह माना कि पार्टी के वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी के विधानसभा से इस्तीफा को अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता।
मीणा ने कहा कि जिन परिस्थितियों का हवाला देकर हेमाराम चौधरी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है, वह अच्छा संकेत नहीं है और ऐसी स्थिति में यह जरूरी बन जाता है कि गहलोत आगे बढ़कर पहल करें, स्थिति को संभाले ताकि पार्टी और सरकार को किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।
मीणा ने आज खेद व्यक्त किया कि राज्य में कई स्थानों पर राजनीतिक एवं प्रशासनिक स्तर पर कांग्रेसी विधायकों की उपेक्षा की जा रही है जो अच्छा संकेत नहीं है। जहां तक बात रही है राज्य सरकार की तो पिछली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के शासनकाल के दौरान हुए गबन- घोटालों को उजागर करके ही कांग्रेस सत्ता में आई थी।
ऐसे में यदि कांग्रेस के ही कुछ मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाएं, बजरी और गैरकानूनी तरीके से उसकी निकाशी की एवज में 10 प्रतिशत तक कमीशन वसूल करें तो यह सरकार की जिम्मेदारी बन जाती कि ऐसे मंत्रियों को न केवल हटाए बल्कि उनके खिलाफ कार्रवाई भी करें।
उन्होंने खेद व्यक्त किया कि कुछ विधायक को और उनके परिवार के सदस्यों की पृष्ठभूमि अपराधिक होने के बावजूद मंत्री बना दिया गया है। इनमें से तो ऐसे भी थे जो टिकट दिए जाने के लायक ही नहीं थे, लेकिन टिकट मिला और बाहुबली होने के नाते चुनाव जीते।
मीणा ने युवाओं को मंत्रिमंडल में जगह देने का समर्थन करते हुए कहा कि वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए जो वरिष्ठ निर्वाचित विधायक हैं। उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह दी जानी चाहिए। वैसे ही राजस्थान के मंत्रिमंडल में कई मंत्री पद रिक्त पड़े हैं और एक ही मंत्री कई मंत्रालयों का भार एक ही मंत्री के पास है। इसी कारण वे सभी मंत्रालयों की व्यवस्था को ढंग से संभाल नहीं पा रहे हैं और किसी की वजह से नौकरशाही हावी है और इसका प्रतिकूल परिणाम सरकार और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।