पटना। बिहार की राजधानी पटना स्थित सांसदों एवं विधायकों के मुकदमे की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल के निलंबित विधायक राजवल्लभ प्रसाद यादव समेत तीन दोषियों को आजीवन कारावास तथा तीन अन्य को दस-दस वर्षो के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
विशेष न्यायाधीश परशुराम सिंह यादव ने मामले में सुनवाई के बाद विधायक राजवल्लभ प्रसाद यादव को भारतीय दंड विधान और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियमके तहत यह सजा सुनाई है। दूसरी ओर, मामले के अन्य दोषी सुलेखा देवी और राधा देवी को भादवि, पॉक्सो ऐक्ट और अनैतिक देह व्यापार निषेध अधिनियम के तहत यह सजा सुनाई है। अदालत ने राजवल्लभ, राधा और सुलेखा को साठ-साठ हजार रुपए जुर्माना भी किया।
वहीं, छोटी देवी उर्फ अमृता, टूसी देवी और संदीप सुमन उर्फ पुष्पंजय को भादवि, अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत दस-दस साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। अदालत ने इनपर चालीस -चालीस हजार रुपए का जुर्माना भी किया।
पहली पाली में सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद अदालत ने दूसरी पाली तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पूर्व अदालत ने 15 दिसंबर 2018 को विधायक समेत मामले के सभी छह आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए आज की तिथि निर्धारित की थी।
विशेष अदालत ने 03 दिसंबर 2018 को मामले में अंतिम बहस की सुनवाई पूरी थी। इस मामले में लगभग ढ़ाई महीने तक लगातार दोनों पक्षों की अंतिम बहस हुई थी।
अभियोजन की ओर से पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता सह विशेष लोक अभियोजक सोमेश्वर दयाल ने अपना पक्ष रखा था वहीं बचाव पक्ष की ओर से उच्चतम न्यायालय के वरीय अधिवक्ता मीर अहमद मीर, पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अजय ठाकुर और व्यवहार न्यायालय पटना के वकील सुनील कुमार ने बहस की थी।
उल्लेखनीय है कि मामले की प्राथमिकी नालंदा जिले के बिहारशरीफ महिला थाने में वर्ष 2016 में दर्ज की गई थी। इस मामले में विधायक यादव समेत छह लोगों के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड विधान, लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो ऐक्ट) तथा अनैतिक देह व्यापार निषेध अधिनियम की अलग-अलग धाराओं में आरोप-पत्र दाखिल किया था।
विधायक राजवल्लभ प्रसाद यादव को 6 फरवरी 2016 को एक नाबालिग के साथ अपने आवास पर दुष्कर्म के मामले में सजा सुनाई है। वहीं, अदालत ने अन्य को अपहरण, बलात्कार में सहयोग करने और अनैतिक देह व्यापार करवाने का दोषी माना।
इस मामले में अभियोजन की ओर से आरोप साबित करने के लिए कुल 22 गवाहों का बयान न्यायालय में दर्ज करवाया गया था जबकि आरोपितों की ओर से अपने बचाव में 15 गवाहों का बयान कलमबंद करया गया। इसके अलावा 31 दस्तावेजी सबूत भी अदालत में प्रदर्शित किए गए थे।
मामला बिहारशरीफ स्थित पॉक्सो की विशेष अदालत में लंबित था। सांसदों-विधायकों के मुकदमे की सुनवाई के लिए राजधानी पटना में विशेष अदालत के गठन के बाद वर्ष 2018 में मुकदमे को यहां स्थानांतरित कर दिया गया था।