सबगुरु न्यूज-सिरोही। पिंडवाड़ा-आबू विधायक समाराम गरासिया ने अशोक गहलोत के सुराज के दावों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। माउंट आबू के निवर्तमान उपखंड अधिकारी गौरव सैनी के कार्यकाल मुख्यमंत्री के सुराज को जो पलीता लगा था। उसका विस्फोट गरासिया ने किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि माउंट आबू में आम आदमी के बरसों पुराने जर्जर हो चुके निर्माण कार्यों पर तो पाबंदी लगा दी गई है। लेकिन रईसों के निर्माण चालू हैं।
-केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को लिखा पत्र
समाराम गरासिया ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को 11 जून के पत्र लिखा था। इसमें बताया गया था कि माउंट आबू में बरसों पुराने और जर्जर हो चुके मकानों की मरम्मत पुनर्निर्माण ओर तो पाबंदी है लेकिन, सत्ताधारी दल के नेता के नाम से यहाँ पर नो कंस्ट्रक्शन जोन में धड़ल्ले से काम हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि माउंट आबू में लिमबड़ी कोठी नाम के भवन में पांच सितारा होटल बन रही है। रोजाना सीमेंट और ईंटों के ट्रक भरकर आ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन आंखें मूंदकर बैठा है। इस पत्र की प्रति उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी भेजी है। उन्हें ट्विटर पर 11 जून के टैग भी की।
-क्या वाकई नो कंस्ट्रक्शन जोन में है ये इलाका?
समाराम गरासिया ने जो आरोप लगाया उसकी जाँच करने के लिए माउंट आबू के मास्टर प्लान को खंगाला। गरासिया ने आरोप लगाया है कि लिमबड़ी कोठी नाम के जिस स्थान पर निर्माण हो रहा है वो नो कन्सट्रक्शन जोन में आता है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी जोनल मास्टर प्लान में नक्की झील से देलवाड़ा जाने वाले मार्ग के पश्चिम के क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन में शामिल किया गया है।
लिमबड़ी कोठी की पोजिशन यदि नक्की झील के निकट अहसान अली शाह बाबा की दरगाह से पांडव भवन और अर्बुदा मंदिर होते हुए देलवाड़ा जाने वाले मार्ग के पश्चिम में है तो ही ये नो कन्सट्रक्शन ज़ोन में आएगा।