सिरोही। केंद्र की भाजपा सरकार के देशवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार, जनविरोधी नीतियों के 7 साल के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस्तीफे की मांग को लेकर 30 मई को सरजवाव गेट पर सुबह 10 बजे से 1 बजे तक निर्दलीय विधायक संयम लोढा अकेले धरना देकर सांकेतिक उपवास करेंगे।
लोढा ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री अपने 7 सात साल के कार्य काल में उनके द्वारा किए गए किसी वादे पर खरे नहीं उतरे। प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली लाल किले से राष्ट्रीय पर्व पर दावा किया था कि देशवासियों को वेक्सिनेट करने के लिए उनकी सरकार कटिबद्ध है लेकिन इनके दावों के इत्तर देश आज वेक्सीन समस्या से जूझ रहा है।
भारत से छोटा देश होने के बावजूद अमरीका ने अपनी कुल जनसंख्या के 13.3 करोड़ लोगों को फूली वेक्सिनेट कर दिया है। चीन के भारत से बड़ा देश होने पर उसने अपने देश के 58.4 करोड़ लोगों को वेक्सीन की सिंगल डोज दे दी है, वहीं मोदी सरकार अब तक 4.24 करोड़ लोगों को वेक्सीन की डबल डोज दे पाई है। तथा 20.1 करोड़ लोगों को सिंगल डोज दी है।
अमरीका ने अमरीकन फस्ट की नीति पर चलते हुए दुनिया भर की वेक्सीन एकत्रित कर ली वहीं मोदी सरकार ने इंडियन लास्ट की नीति पर चलकर 6.5 करोड़ डोज निर्यात करके भारतीयों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया।
देश मे मोदी सरकार ने हर साल 2 करोड़ रोजगार देने के विपरित शहर-शहर व गांव गांव में बेरोजगारी फैला दी है। उनकी नोटबन्दी, जीएसटी व बेतरतीब लॉक डाउन ने उद्योग धंधों पर ताला लगा दिया।
सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी दर 14.7 प्रतिशत हो गई है जो अब तक 45 साल में सबसे ज्यादा है। मनमोहन सिंह सरकार ने बेहतरीन अर्थव्यस्था सौपी थी और मोदी सरकार ने यह हाल कर दिया कि बांग्लादेश जैसा छोटा सा देश प्रति व्यक्ति आय में भारत से आगे निकल गया है।
कोरोना काल मे ही बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 2 हजार 227 डॉलर हो गई है जबकि मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण भारत प्रति व्यक्ति आय 1 हजार 947 डॉलर है जो कि 280 डॉलर कम है।
भारत सरकार ने वर्ष 2004 में आपदाओं में विदेशी मदद लेने पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। तत्कालीन सरकार का दावा था कि भारत इतना सक्षम है कि वह अपनी मदद खुद कर सकता है। सुनामी और केदारनाथ के जलजले में भारत ने अपने दम पर ही राहत अभियान किया था। इसके विपरीत मोदी सरकार ने देश को इतने गर्त में डाल दिया कि उन्हें आपदा में विदेशी मदद न लेने के भारत सरकार के 2004 के निर्णय को बदलना पड़ा।
लोढा ने कहां कि कोरोना महामारी के बीच विषम परिस्थितियों में मोदी सरकार गरीब, मजदूर, किसान व मध्यम परिवार को राहत व सहायता देने के बजाय टैक्स का बोझ डालकर लूट व झूठ का काम कर रही है।
आपदा के समय मोदी सरकार को गरीब की जेब मे पैसा डालना चाहिए लेकिन मोदी अपने उद्योगपति मित्रो की जेब भरने के लिए जनता से वसूली मॉडल पर काम कर रही है। खाद्य सामग्री, रोजमर्रा की वस्तु, गैस सिलेंडर व पेट्रोल-डीजल में रिकॉर्ड वृद्धि करके जनता पर महंगाई की मार कर रही है। किसानों की आय दुगनी करने का बड़ा वादा भूला दिया गया है, कालाधन वापस लाने का नाम नहीं ले रहे हैं।