थिम्पू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भूटान के साथ प्राचीन रिश्तों को याद करते हुए कहा कि मौजूदा समय में दोनों देशों के बीच शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में साझेदारी है।
मोदी ने ‘रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान’ के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आपके 130 करोड़ भारतीय दोस्त सिर्फ आपके आगे बढ़ने पर गौरवान्वित ही नहीं होंगे बल्कि आपकी प्रशंसा भी करेंगे। वे आपको भागीदार बनाएंगे, आपके साथ अपने ज्ञान को साझा करेंगे और आपसे सीखेंगे।
उन्होंने कहा कि भूटान का संदेश खुशहाल मानवता है। खुशी सदभाव से मिलती है और दुनिया इसके साथ बहुत अधिक खुश रह सकती है। यह नासमझ नफरत पर हावी होगी। यदि लोग खुश हैं, तो सदभाव होगा।
उन्होंने कहा कि भूटान ने सदभाव, एकता और करुणा को समझा है। उन्होंने कहा कि मैं कल उन प्यारे बच्चों के बीच से निकला जो मेरे स्वागत के लिए सड़कों पर खड़े थे। मैं हमेशा उनकी मुस्कुराहट को याद रखूंगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने अपनी पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स’ में जो कुछ भी लिखा है, वह भगवान बुद्ध की शिक्षा से प्रभावित है, विशेष रूप से सकारात्मकता का महत्व, भय पर काबू पाने और एकजुट रहने की शिक्षा। वर्तमान समय में भी उनकी शिक्षाएं सार्थक हैं।
उन्होंने कहा कि भूटान ने खुशहाली के सार को समझ लिया है और मैं इससे आश्चर्यचकित नहीं हूं। दुनिया के किसी भी हिस्से में यदि हम पूछते हैं कि आपका भूटान के बारे में क्या कहना है, तो एक ही उत्तर मिलता है कि ‘सकल राष्ट्रीय खुशहाली की अवधारणा’ बहुत अच्छी है। मोदी आज अपना दो दिवसी भूटान दौरा समाप्त कर स्वदेश लौट आएंगे।
इससे पहले विदेश सचिव विजय गोखले ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा था कि भारत दोनों देशों (भारत और भूटान) के बीच उन्नत संबंधों और निकटता के लिए भूटान की युवा पीढ़ी को ‘आगे’ लाने के लिए इच्छुक है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने कुछ प्रमुख संस्थानों और विधि विद्यालय खोलने को लेकर समझौता किया है।