नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र में व्यवधान डाले जाने के विरोध में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह सहित पार्टी के सभी सांसद उपवास करेंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार सभी नेता अलग अलग स्थानों पर धरने पर बैठेंगे। प्रधानमंत्री देश की राजधानी दिल्ली में उपवास पर रहेंगे और अपने नियमित सरकारी कामकाज भी देखेंगे जबकि भाजपा अध्यक्ष कर्नाटक के हुब्बली में धरना देंगे। अन्य सांसद अपने अपने क्षेत्रों में धरना देंगे और प्रदर्शन करेंगे।
सूत्रों के अनुसार समता दिवस के मौके पर मोदी बुधवार को भाजपा के सभी सांसदों एवं विधायकों को ऑडियो संदेश देंगे और कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति को जनता के सामने उजागर करने के लिए लोगों के बीच जाने काे कहेंगे।
पार्टी ने आरोप लगाया कि निरंतर सत्ता में रहने की आदी कांग्रेस द्वारा सुनियोजित तरीके से पूरे देश में भय और भ्रम का वातावरण तैयार किया जा रहा है। हिंसा और उकसावे की राजनीति द्वारा देश का अमन-चैन बिगाड़ने की कोशिशें जारी हैं। यहां तक कि बजट सत्र, जिसमें जनता से जुड़ी महत्वपूर्ण चर्चाएं होनीं थीं, वह भी कांग्रेस के गतिरोध के कारण अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया।
पार्टी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष एवं सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में एक निर्णायक, पारदर्शी, जवाबदेह और सुशासन देने वाली मजबूत सरकार है जिसके चार साल के कार्यकाल में देश ने हर क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं। मोदी के विरोध के सारे हथकंडों में विफल हो चुका विपक्ष अब संसद में अवरोध उत्पन्न करने की साजिश पर उतर आया है।
बलूनी ने कहा कि कांग्रेस के इसी अलोकतांत्रिक एवं विकास विरोधी चेहरे को बेनकाब करने के लिए 12 अप्रैल को देश भर में भाजपा के समस्त सांसद उपवास रखेंगे।
कांग्रेस ने संसद नहीं चलने देने के लिए सरकार द्वारा उसे दोषी ठहराने को निंदा करते हुए आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने संसद में गतिरोध जारी रखने की साजिश की है और इसके लिए उसने एक के बाद एक दल को संसद में हंगामा करने के लिए प्रेरित किया ताकि उसे जनता के सवालों का जवाब नहीं देना पड़े।
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में गतिरोध के कारण संसद में कोई कामकाज नहीं होने के मद्देनजर राजग सांसदों ने इस चरण का वेतन भत्ता नहीं लेने का निर्णय लिया है। बजट सत्र में विभिन्न मुद्दों पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस एवं क्षेत्रीय दलों द्वारा हंगामा किए जाने के कारण लोकसभा और राज्यसभा का कामकाज निराशाजनक रहा है तथा इस सत्र में लोकसभा में उत्पादकता मात्र 23 प्रतिशत और राज्यसभा की 28 प्रतिशत रही।
गत 29 जनवरी से शुरू हुए इस बजट सत्र के दोनों चरणों में लोकसभा की 29 और राज्यसभा की 30 बैंठकें हुई है। पहले चरण में लोकसभा की सात और राज्यसभा की आठ बैठकें हुई थी जिस दौरान लोकसभा की उत्पादकता 134 प्रतिशत और राज्यसभा की 96 प्रतिशत रही थी।
लेकिन दूसरे चरण में कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की उत्पादकता मात्र चार प्रतिशत अौर राज्यसभा की उत्पादकता आठ प्रतिशत रह गई। इस तरह कुल मिलाकर बजट सत्र में लोकसभा की उत्पादकता 23 प्रतिशत और राज्यसभा की उत्पादकता 28 प्रतिशत रही।
सत्र के दौरान लोकसभा में वित्त विधेयक 2018 सहित पांच विधेयक पेश किए और पांच ही विधेयक पारित भी किए गए। राज्यसभा में मात्र एक विधेयक पारित किया। धन विधेयक के रूप में लोकसभा से पारित वित्त विधेयक 2018, विनियोग (संख्या 2) विधेयक 2018, विनियोग (संख्या 3) विधेयक 2018 और उपदान संदाय संशोधन विधेयक 2018 को संविधान के अनुच्छेद 109 के खंड पांच के तहत लोकसभा से पारित होने के 14 दिनों के बाद संसद के दोनों सदनों से पारित मान लिया जाता है।