सबगुरु न्यूज। नेहरू से मोदी काल तक चीन भारत को धोखा देता आया है। इस चालबाज चीन की बातों में आकर भारत हमेशा फंसता रहा है, इस बार भी चीन ने वही हरकत की जिसकी देश को उम्मीद नहीं थी। पूर्वी लद्दाख के गालवन घाटी में चीन ने एक बार फिर से भारत की जमीन पर हमला करके यह साफ संदेश दे दिया है कि वह भारत को आज भी कमजोर निगाहों से देखता है। भारत चीन पर हर बार भरोसा कर लेता है लेकिन यह चालबाज देश भारत को हमेशा से ही धोखा देता आया है। लेकिन अब लद्दाख के गालवन घाटी में 20 भारतीयों सैनिकों के शहीद होने के बाद तनाव काफी बढ़ गया है। चीन की इस हरकत के बाद देश भर में आक्रोश का असर मोदी सरकार पर भी दिखने लगा है।
सही मायने में भारत के पास चीन से हिसाब चुकता करने के लिए यह सही समय है। अगर हम इस बार चीन को उसी की भाषा में जवाब नहीं दे सके तो सही मायने में एक बार फिर हम यह मौका हाथ से गंवा देंगे। मंगलवार और बुधवार को पीएम मोदी ने जिस प्रकार से चीन को लेकर दिल्ली में विदेश मंत्री, रक्षामंत्री और तीनों सेना अध्यक्षों के साथ हाई लेवल मीटिंग का करना बताता है कि भारत इस बार चीन को बख्शने के मूड़ में नहीं है। चीन को लेकर सेना किसी भी तरह की ढील नहीं बरतना चाहती है। लद्दाख में चीनी सैनिकों की हरकत के बाद भारतीय सेना भी पूरी तरह से चौकन्नी हो गई है, सिर्फ लद्दाख बॉर्डर के पास नहीं, बल्कि उत्तराखंड में चीन से सटी सीमा समेत पूरी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अब सेना के अलर्ट को बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में सेना के ट्रक लद्दाख की ओर रवाना कर दिए गए हैं। चीन को इस बार करारा जवाब देने के लिए भारत तैयार खड़ा है।
यहां हम आपको बता दें कि बुधवार को चीन का नाम लिए बगैर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा किसी को इस बात का भ्रम नहीं पालना चाहिए कि भारत उकसाने पर चुप बैठेगा, हम किसी को कभी उकसाते नहीं है, लेकिन अगर कोई हमें उकसाता है तो हर तरीके से जवाब देने में सक्षम हैं। यही नहीं पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन की सीमा पर उत्पन्न मौजूदा हालात पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल यानी 19 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के अध्यक्ष शामिल होंगे।
नेहरू से मोदी काल तक चीन हमारे लिए सिरदर्द बना हुआ है
चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से ही चीन से परेशान चला रहा है। ऐसे ही पीएम मोदी के सरकार को बने 6 साल हो गए लेकिन आज भी चीन भारत के लिए अड़ंगा डाल ही देता है, चीन ने भारत के लिए हमेशा रोड़े अटकाए आए हैं। प्रधानमंत्री नेहरू के समय चीन ने हिंदी चीनी भाई भाई का नारा भी दिया था लेकिन उसकी इसके पीछे मंशा कुछ और थी। उल्लेखनीय है कि 1960 में चीन ने नेहरू के हिंदी-चीनी, भाई-भाई के नारे को किनारे करते हुए, करीब 50 हजार वर्गमील जमीन हड़पने की योजना बनाई। तिब्बत, कैलाश मानसराेवर और अक्साई चिन के साथ गलवान घाटी पर कब्जा इसी समय की बात है।
इसी का नतीजा था 1962 का युद्ध, जिसके बाद करीब 38 हजार वर्गमील भारतीय जमीन आज भी चीन के कब्जे में है। कोई भी केंद्र सरकार के मिनिस्टर या प्रधानमंत्री अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लेह लद्दाख में दौरा करने जाते हैं, जब चीन को बहुत ही अखरता रहा है। चीन दुनिया भर के देशों के लिए भी एक पहेली बना हुआ है। भारत को अब समझना होगा कि चीन की कथनी और करनी में बहुत अंतर है, उसके नेता भारत को धोखा देते आए हैं।
भारत हर बार चीन से अपने पुराने जख्म बुलाकर मधुर संबंध करने की कोशिश करता है लेकिन चीन हर बार हमारे देश को निराश करता रहा है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी ने चीन पर कभी भरोसा नहीं किया, इंदिरा कभी चीन की यात्रा पर गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन 6 सालों में चीन से मित्रता के कई बार हाथ बढ़ाएं लेकिन चीन अपनी पुरानी आदतों सुधार नहीं ला सका है, लेकिन अब चीन को समझना होगा कि अब भारत वो नहीं है।
चाइनीस सामानों का बहिष्कार कर भारत इस चालबाज देश को आर्थिक मोर्चे पर दे पटकनी
हमारे बीस जवानों के शहीद होने के बाद देशभर में चीन के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यही नहीं कई शहरों में तो चीन के सामानों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है। चीन के खिलाफ लोग सड़कों पर आ कर प्रदर्शन करने लगे हैं। इस बीच सरकार ने भी अब चीन को आर्थिक मोर्चे पर चोट करने का मन बना लिया है। बुधवार को भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने बीएसएनएल को आदेश दिया कि वह अपने विभाग में मेड इन चाइना सामान की उपयोगिता को कम करें। इसके अलावा कई प्रोजेक्ट ऐसे भी हैं जो चीनी कंपनियोंं को दिए गए थे वह भी रद किए जा सकते हैं।
भारत की ओर से सिर्फ सैन्य या आर्थिक लेवल पर ही नहीं बल्कि कूटनीतिक तौर पर भी चीन को घेरने की तैयारी की जा रही है। चीन के घटनाक्रम को लेकर भारत ने इसकी जानकारी अपने मित्रर राष्ट्रों को दी है। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत का समर्थन किया है। अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया ने इस मामले में भारत का पूर्ण रूप से समर्थन किया है। ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फरेल ने बयान दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नियम और तकाजे को लेकर स्थापित व्यवस्था का भारत और ऑस्ट्रेलिया पालन कर रहे हैं लेकिन चीन ऐसा नहीं कर रहा। यही नहीं चीन आज कोरोना महामारी फैलाने को लेकर को लेकर यूरोप के कई देशों से भी घिरता जा रहा है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार