नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में लिए गए फैसलों को दुकानदारों और व्यापारियों पर कुठाराघात बताते हुए गुरुवार को कहा कि इससे विदेशी कंपनियों को फायदा होगा जबकि दुकानों तथा छोटे व्यापारियों के यहां काम करने वाले 15 करोड़ कर्मचारियों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर कहा कि एकल खुदरा ब्रांड में विदेशी कंपनियों को एफडीआई नियमों में भारी छूट देकर भाजपा सरकार ने भारतीय दुकानदारों और व्यापारियों पर गहरा वज्रपात तथा कुठाराघात किया है। इससे जहां एक ओर लगभग तीन करोड़ दुकानदारों के व्यापार और आमदनी पर सीधी चोट पड़ेगी, वहीं दूसरी ओर उनके 15 करोड़ कर्मियों के रोजगार पर भी खतरे के बादल मंडराने लगेंगे।
उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल ने बुधवार को एकल खुदरा ब्रांड में 51 प्रतिशत से ज्यादा एफडीआई के लिए स्थानीय खरीद और ऑनलाइन स्टोर की शर्तों को आसान बना दिया।
सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले से देश में आने वाले विदेशी निवेश में भी कमी आने का खतरा है। एफडीआई नियमों में भारी छूट से साफ है मोदी सरकार केवल बड़ी विदेशी कंपनियों के हित साधने में लगी है और उसे देश के आम दुकानदारों व व्यापारियों से कोई सरोकार नहीं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेशी कंपनियों की मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी है, जिससे वे अब एकल खुदरा ब्रांड में भारतीय बाजारों में अपना जमीनी आउटलेट खोलने से दो साल पहले ही ऑनलाइन बिक्री शुरू कर देंगे।
जमीनी स्तर पर आउटलेट खोलने से भारतीय बाजारों में विदेशी धन आता और विदेशी कंपनियों से यहाँ पर जमीन, भवन निर्माण, किराये के माध्यम से भारतीय युवाओं के लिए नौकरियां पैदा होतीं तथा विदेशी निवेश में बढ़ोतरी होती। इस सारी प्रक्रिया में मजदूरों से लेकर हर स्तर पर देशवासियों को लाभ होता।
सुरजेवाला ने कहा कि अब विदेशी कंपनियां केवल वेबसाइट बनाकर 130 करोड़ की आबादी वाले विशाल भारतीय बाजार में अपना माल सीधे बेच सकेंगी। सरकार ने ऑनलाइन बिक्री की खुली छूट दे दी तथा जमीनी स्तर पर विदेशी कंपनियों का आउटलेट अब दो साल बाद खुलेगा। स्वाभाविक है, नुकसान देश का होगा।
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है कि सरकार ने इस फैसले के द्वारा स्थानीय खरीद की प्रतिवर्ष समीक्षा करने की बजाय पाँच साल बाद समीक्षा करने की व्यवस्था कर दी है। एकल ब्रांड खुदरा विक्रेता वैश्विक कामकाज के लिए भारत से जो माल खरीदेंगे, उसे वे भारत में अपने पहले स्टोर की शुरुआत की साल से लेकर पांच वर्षों के दौरान भारत से 30 प्रतिशत स्थानीय खरीद की शर्त पूरी करने में इस्तेमाल कर सकते हैं, यानि ऑफलाइन स्टोर खोलने के लिए मिले दो साल को शामिल करते हुए सात साल तक उनसे कोई पूछने वाला भी नहीं होगा।