नई दिल्ली। कांग्रेस ने फ्रांस से खरीदे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत न बताने के लिए गोपनीयता के करार की आड़ लेने को सरकार की बहानेबाजी करार देते हुए कहा कि देश सचाई जानना चाहता है इसलिए इस सौदे की असलियत सामने लाई जानी चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वड्डकन ने यहां पत्रकारों से कहा कि इस संबंध में उनकी पार्टी लगातार सवाल कर रही है लेकिन मोदी सरकार किसी का भी जवाब नहीं दे रही है। इस सौदे की सचाई किस वजह से छिपाई जा रही है इसका उसे खुलासा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सौदे में घोटाला किया गया है इसलिए सरकार कीमत छिपा रही है लेकिन 2019 के चुनाव में जनता उससे यही सवाल पूछेगी और उसे जवाब देना ही पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पहले रक्षा मंत्री ने कहा कि था कि रक्षा सचिव विमानों की कीमत बताएंगे लेकिन बाद में सरकार मुकर गई और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए विमानों की कीमत बताने से पीछे हट गई। उन्होंने कहा कि सरकार भले ही इन विमानों की कीमत नहीं बता रही है लेकिन विमान बनाने वाली कंपनी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि उसने यही विमान कतर और मिस्र से भी खरीदे हैं। रिपोर्ट में विमानों की कीमत का जिक्र है और दोनों देशों की तुलना में भारत से एक विमान की कीमत 350 करोड़ रुपए से अधिक ली गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार मेक इन इंडिया की बात करती है लेकिन राफेल सौदे में उसने इन विमानों को देश में ही बनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएएल को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण संबंधी समझौते को खत्म कर दिया। सरकार ने इसके बजाय यह जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को दी है जिसका विमानन क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है।