सबगुरु न्यूज। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल और कुल मिलाकर अपने कार्यकाल के छह साल पूरे कर लिए हैं। इन छह सालों के दौरान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनकी चर्चा वैश्विक स्तर पर हुई है। पूर्ण बहुमत की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान कई ऐसी उपलब्धियां हासिल की हैं, जो सीधे तौर पर पार्टी और केंद्रीय नेतृत्व की इच्छाशक्ति को जाहिर करती हैं।
लेकिन पिछले 1 साल से देश की गिरती अर्थव्यवस्था को नहीं संभाल पा रही है मोदी सरकार। आज 30 मई है आइए आपको एक वर्ष पीछे लिए चलते हैं जहां से मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की धमाकेदार शुरुआत की थी। इसी तारीख को मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उसके बाद मोदी सरकार ने ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू कर दिए थे।
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में जनता की पहली पसंद बनकर उभरे नरेंद्र मोदी ने अगले 100 दिनों में इतने बड़े फैसले लिए कि लोगों को लगने लगा मानों, अब देश के सारे मसले सुलझ जाएंगे। कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक राष्ट्र- एक ध्वज की सोच के साथ मोदी ने तेज कदम बढ़ाए तो कई धारणाएं टूटने लगीं। अब जब मोदी दूसरी पारी के 365 दिन पूरे कर चुके हैं तो सारी परीक्षाओं पर एक ही परीक्षा भारी पड़ रही है और वह है कोरोना वायरस की परीक्षा। आने वाले दिन और मुश्किल भरे होने के संकेत मिल रहे हैं। लॉकडाउन खुलने पर जिंदगी और गुजारे को लेकर चिंता की लकीरें हर माथे पर हैं।
मोदी सरकार ने पिछले एक साल में यह ताबड़तोड़ फैसले किए थे
विपक्षी दलों के तमाम आरोपों के बावजूद मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों से जुड़े कई कड़े फैसले लिए। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही अल्पसंख्यकों के हितों से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया और एक झटके में तीन तलाक को खत्म कर दिया। इसके बाद कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया गया। इसके साथ ही कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में नागरिकता संशोधन कानून को मंजूरी दी गई। ये एक ऐसा फैसला था, जिसके खिलाफ पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन हुए।
कई लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए। लेकिन सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही। इस फैसले के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक यानि कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई के लिए नागरिकता के नए प्रावधान तय किए गए। 10 जनवरी, 2020 को इस कानून के लागू हो जाने से तीन देशों के इन छह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता हासिल करना आसान हो गया। नागरिकता के नए प्रावधानों में मुस्लिम का जिक्र नहीं था, जिसका व्यापक पैमाने पर विरोध हुआ। जन्मभूमि का मामला भी मोदी सरकार ने सुलझा सुलझाने का दावा करती रही है।
लगातार गिरती अर्थव्यवस्था को पटरी पर नहीं ला सकी मोदी सरकार
एक साल में सबसे ज्यादा केंद्र सरकार के लिए अर्थव्यवस्था को लेकर रही जो अभी तक पटरी पर नहीं आ पाई है। देश को 5 ट्रिलियन इकोनॉकी का सपना दिखाया गया। कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो गई है। कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इस समय केंद्र सरकार पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है। वहीं कांग्रेस के कुछ नेता यह भी आरोप लगा रहे हैं कि इस महामारी ने केंद्र सरकार की कई कमजोरियों पर पर्दा भी डाल दिया है। हालांकि कोरोना वायरस ने भारत की गिरती अर्थव्यवस्था को और भी तबाह करके रख दिया है।
पहले विदेशी एजेंसीज जैसे मूडीज और विश्व बैंक ने भारत की जीडीपी को लेकर अनुमान जाहिर किए थे और इसे एक से दो फीसदी के आस-पास बताया था। कुछ एजेंसीज ने कहा था कि भारत की जीडीपी में नेगेटिव ग्रोथ होगी यानी गिरावट आएगी। तब भारत ने उनके अनुमानों को खारिज कर दिया था। लेकिन अब तो रिजर्व बैंक ने भी आधिकारिक तौर पर कह दिया है कि भारत की जीडीपी निगेटिव हो सकती है।
कोरोना संकट में भी पीएम मोदी लोकप्रिय नेता बनकर उभरे
वर्तमान परिस्थिति मोदी सरकार के लिए इन एक सालों में सबसे बड़ी चुनौती है। विश्व में कोरोना वायरस संकट जारी है। इस संकट के शुरू में ही भारत में लॉकडाउन लागू कर दिया था। इसी का नतीजा है कि बाकी देशों की तुलना में भारत में करोना महामारी का कहर थोड़ा कम दिखता है। लॉकडाउन का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लिया गया। सही समय पर पूरे देश को लॉकडाउन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर तरफ सराहना हो रही है।
कोरोना वायरस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऐसे कई फैसले लिए गए जिसने न सिर्फ भारत को, बल्कि विश्व को भी इस महामारी से निपटने के लिए नई दिशा दी। शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के द्वारा लिए गए तीन फैसलों की वजह से आज भारत में कोरोना नियंत्रण में है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संकट में कठोर और गंभीर निर्णय लिए। साथ ही साथ तकनीक का भी खूब इस्तेमाल किया।
कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को एकजुट करने में कामयाबी हासिल की। प्रधानमंत्री की एक अपील पर देश की जनता ने उनका पूरा सहयोग किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देशवासियों को एकजुट रखने और नए-नए शब्दों के प्रयोग करने में मास्टर माना जाता है। कोरोना संकट काल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को 20 लाख करोड़ पैकेज के एलान से बता दिया है कि अभी भी अर्थव्यवस्था उठाने में हमारी सरकार पूरी कोशिश कर रही है।