बेंगलूरू। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि पिछले पांच वर्षाें में मोदी सरकार की नीतियों से देश का आर्थिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है।
सिब्बल ने गुरुवार को यहां लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करने के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि गत पांच वर्षों में मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग क्षेत्र को काफी नुकसान झेलना पड़ा है और यह संकट की स्थिति में पहुंच गया है। सभी सेक्टरों में साख की स्थिति में एक नई गिरावट आई है तथा सामाजित न्याय सामाजिक अन्याय का रूप ले चुका है।
उन्हाेंने आर्थिक समृद्धता और सामाजिक सशक्तीकरण को देश के दो स्तंभ बताते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों में एमएसएमई सेक्टर में संकट के साथ ही दलितों की मॉब लींचिंग और 36 हजार से अधिक किसानों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ी है तथा 1 करोड़ 10 लाख रोजगार समाप्त हो गए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अच्छे दिनों’ के बारे में बोलना ही छोड़ दिया है, क्योंकि वह जानते हैं कि अब इस पर कहने से कुछ होना नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकों के खाते में 15 लाख रूपए जमा किए जाने की बात सबसे बड़ा झूठ साबित हुई है। इसीलिए कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए ‘कांग्रेस वादा निभाएगी, हम जो कहेंगे, उसे पूरा करेंगे’ शीर्षक से घोषणापत्र जारी किया है।
सिब्ब्ल ने कहा कि घोषणापत्र में मुख्यत: बदलाव लाने की बात कही गई है और हमने कृषि क्षेत्र के लिए अलग करने के साथ ही किसानों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए डॉ. स्वामीनाथन की रिपोर्ट के क्रियान्वयन की भी योजनाएं बनाई है। हमने विभिन्न केंद्रीय विभागों में चार लाख से अधिक रिक्तियों को भी भरे जाने का वादा किया है। हम आने वाले पांच साल में इन रिक्तियों को भरेंगे।
भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल के कार्यकाल में अमीर और अमीर हुए हैं, जबकि गरीब और गरीब हुए हैं। देश के 54 प्रतिशत संसाधन 10 प्रतिशत लोगों के कब्जे में है। देश के 70 से 80 प्रतिशत लोग 10 हजार रूपए की वार्षिक आय में ही गुजारा करने को विवश हैं, जो युक्तिसंगत नहीं है।
उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री केवल पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक पर बात कर रहे हैं। अगर वह देश में गरीबी हटाने के लिए गंभीर हैं तो उन्हें गरीबी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए। देश में किसी प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री कार्यालय की छवि खराब नहीं की है, जैसा मोदी ने किया है।