नई दिल्ली। कांग्रेस ने बिजली और पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवाकर के दायरे में लाने की मांग करते हुए रविवार को कहा कि मोदी सरकार जीएसटी लागू करने की पहली बरसी पर भले ही जश्न मना रही है लेकिन सच्चाई यह है कि अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर नजर नहीं आ रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने यहां पार्टी मुख्यालय में विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें खुशी है कि उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2006 में नई कर व्यवस्था लागू करने के लिए जीएसटी की परिकल्पना की थी और वह आज अस्तित्व में है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उसके स्वरूप को बदला गया है जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावी नतीजे नजर नहीं आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जो जीएसटी लागू किया था, वह अत्यंत दोषपूर्ण है। इसमें इतनी खामियां है कि सामान्य नागरिकों, छोटे व्यापारियों, कारोबारियों तथा निर्यातकों के लिए जीएसटी गलत शब्द बन गया है। सिर्फ कर प्रशासन मोदी सरकार के जीएसटी से खुश है क्योंकि उसे मनमानी करने का भरपूर मौका दिया गया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी आरंभ से ही बिजली और पेट्रोल तथा डीजल आदि को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं। पार्टी की सरकार के वित्त मंत्री जीएसटी परिषद की बैठक में इन मुद्दों को उठाते भी हैं लेकिन उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि आम जनता पर पेट्रोलियम पदार्थों की आसमान छूती कीमतों को बोझ कम करने के लिए इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए।
चिदम्बरम ने कहा कि मोदी सरकार ने जीएसटी को जल्दबाजी में और आधा अधूरा लागू किया जिसके परिणाम अर्थव्यवस्था के विरुद्ध जा रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने तमिलनाडु के उद्योग मंत्री के सदन में दिए गए बयान को दोहराया और कहा कि 2017-18 के दौरान राज्य में 50 हजार छोटे, लघु और मझौले उद्योग बंद हुए हैं तथा पांच लाख नौकरियां गई हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी में बहुत सुधार किए जाने की जरूरत है और इसके लिए सबसे पहले करों की विविध दरों को खत्म किया जाना चाहिए तथा एक तिमाही में सिर्फ एक ही रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था होनी चाहिए। पेट्रोलियम पदार्थों तथा बिजली को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तथा जीएसटी में सुधार के लिए जो भी सुझाव हैं उन पर विपक्षी दलों के साथ विचार विमर्श किया जाना चाहिए।
यह पूछने पर कि देश का असली वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं या पीयूष गोयल, चिदम्बरम ने चुटकी लेते हुए कहा कि असली वित्त मंत्री प्रधानमंत्री ही हैं। सरकार के आर्थिक सरकार अरविंद सुब्रमण्यम के इस्तीफे संबंधी सवाल पर चिदम्बरम ने कहा कि शायद उनकी बात सुनी नहीं जाती थी और ना ही उन्हें बोलने नहीं दिया जाता था। इससे शायद वह परेशान हो गए थे इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।
पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने आरोप लगाया कि जीएसटी परिषद की बैठक में भाजपा का बोलबाला है और उनकी बात नहीं सुनी जाती है। परिषद की बैठक में अभी विरोध स्वरूप बहिर्गमन या आरोप-प्रत्यारोपों की परंपरा नहीं है इसलिए वे सिर्फ विरोध ही दर्ज करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि जीडीपी सात प्रतिशत तक रहेगी लेकिन इसका जीडीपी का आधार कर वसूली होती है और इसके बराबर कर वसूली दिखती नहीं है।