नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अभेद्य राजनीतिक गढ़ माने जाने वाले उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट पर कब्जा कर भारतीय जनता पार्टी में मजबूत होकर उभरी स्मृति ईरानी ने तेज तर्रार और इरादे की पक्की महिला नेता के रूप में पहचान बनाई है।
वर्ष 2014 में पहली बार गांधी को अमेठी में चुनौती देने वाली ईरानी ने हार से मायूस होने के बजाय वहां जमीनी स्तर पर काम किया और अपनी पैठ बनाकर इस संसदीय सीट पर गांधी को इस बार 50 हजार से अधिक मतों से हराकर पार्टी का जनाधार बढाया।
तेईस मार्च 1976 को दिल्ली में जन्मी ईरानी का जीवन शुरू से ही संघर्षपूर्ण रहा है और इसी संघर्ष के बल पर उन्होंने पहले अभिनय के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और बाद में राजनीति में आकर अपनी धाक जमाई। टेलीविजन की दुनिया में नया मुकाम छूने वाली ईरानी धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में ‘तुलसी’ के केन्द्रीय किरदार से चर्चित हुई।
पिछली मोदी सरकार में उन्हें पहले मानव संसाधन विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई और बाद में मंत्रिमंडल के फेरबदल में उन्हें कपड़ा मंत्री बनाया गया।
ईरानी ने 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की और दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल से हार गईं। वर्ष 2004 में इन्हें महाराष्ट्र भाजपा युवा शाखा का उपाध्यक्ष बनाया गया।
वह पार्टी की केंद्रीय समिति के कार्यकारी सदस्य के रूप में भी मनोनीत की गई और राष्ट्रीय सचिव भी बनी। वर्ष 2010 में उन्हें भाजपा महिला मोर्चा की कमान सौंपी गई। वर्ष 2011 में वे गुजरात से राज्यसभा की सांसद चुनी गई। इसी वर्ष इनको हिमाचल प्रदेश में महिला मोर्चे की भी कमान सौंप दी गई।